मालती वर्मा खुद स्कूल नहीं जा पाईं। कभी किताबों का मुंह नहीं देखा। पति किसान हैं और गृहस्थी मुश्किल से चलती है। लेकिन एक बात उन्होंने गांठ बांध रखी है -- बिना शिक्षा के कोई आगे नहीं बढ़ सकता और मेरा बेटा और बेटी दोनों पूरी शिक्षा हासिल करने के बाद ही विवाह करेंगे।
बलरामपुर जिले के अचलपुर चौधरी गांव की निवासी मालती बताती हैं कि एक जमाना था जब उनका बस एक ही सपना था। बस, किसी तरह दोनों बच्चों का दाखिला स्कूल में हो जाए। पड़ोसियों के बच्चों को स्कूल जाते देखती थीं। फिर एक दिन सपना साकार हुआ। आज मालती की बेटी ग्यारह बरस की है और वह कहती हैं कि बिटिया अठारह साल की उम्र तक पढ़ाई करेगी। उसके बाद ही शादी की सोचेंगे।
स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी सुधा वर्मा ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।
अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले में एक अभियान चला रहा है। इसके तहत 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।