बाल विवाह के खिलाफ परिवार की समझ एक हो जाए तो गांव-समाज के ताने और दबाव आसानी से हार जाते हैं। अनपढ़ उर्मिला देवी की पांच बेटियों को इसी तरह की समझ का सहारा मिला है और सब इस हौसले के साथ बढ़ रही हैं कि पढ़-लिख कर कुछ बनना है। बड़ी बेटी पूजा वर्मा पढ़ने के खासी दूरी तय करके स्कूल जाती है, गांव समाज के कई तरह के ताने सुनता है परिवार, लेकिन मां उर्मिला देवी का मजबूत साथ बेटियों को आगे बढ़ने का बल देता रहता है।
बलरामपुर के रानीजोत गांव की उर्मिला देवी की पांच बेटियां हैं और इनकी पढ़ाई जारी रखने की जद्दोजहद में पूरे परिवार को पड़ोसियों तरह तरह के ताने लगातार सुनने पड़ते हैं। मां उर्मिला खुद भले ही निरक्षर हों लेकिन बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाने की उनकी समझ और जिद काबिले तारीफ है।
आज पूजा इस बात को हंसते हुए बताती है कि पड़ोस की औरतें ही पहले आकर मां से पंचायत करती थीं कि लड़कियों को क्या पढ़ाना, आगे चलकर चौका-बर्तन ही तो करना है इन्हें। शादी करो और फारिग होओ जिम्मेदारी से। लेकिन मां उर्मिला ने सबको हमेशा यही जवाब दिया कि जबतक बेटियां पढ़ना चाहेंगी, हम पढ़ाएंगे। पूरे आत्मविश्वास के साथ कहती है पूजा कि हम बहनें पढ़-लिख कर माता-पिता का नाम रोशन करेंगी।
स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी श्वेता तिवारी ने पूजा और उसकी मां उर्मिला देवी से बात करके यह वीडियो कथा अमर उजाला को भेजी है।
अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।