निशा की उम्र महज चौदह साल है। वह सही मायने में बच्ची ही है। लेकिन इस बच्ची ने ऐसा काम कर दिखाया कि आज उसका स्कूल, उसका गांव और उसकी सहेलियां-- सब उसकी तारीफ कर रहे हैं। निशा पैगापुर गांव में रहती हैं। कुछ समय पहले उन्हें पता लगा कि उनके घर में सब किसी की शादी की तैयारी में व्यस्त हैं। उसने सबसे पूछा। पहले तो परिवार वाले कुछ नहीं बोले, फिर बताया कि तुम्हारी ही शादी की तैयारी है।
निशा ने खुद अपनी कहानी बताते हुए कहा कि उसकी मां और परिवार के सब लोग उसकी बात सुनने को तैयार नहीं थे। उसने बहुत कहा कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती, लेकिन किसी पर कोई असर नहीं हुआ। हारकर उसने अपने स्कूल टीचर को अपने संकट के बारे में बताया। टीचर ने सोच-विचार कर निशा के गांव के प्रधान से बात की। बाद में टीचर और ग्राम प्रधान दोनों मिलकर निशा के घर गए। उसके मां-बाप को समझाया। तब जाकर निशा के घर वाले कुछ पसीजे।
फिलहाल निशा की शादी टल गई है। उसका इरादा मजबूत है कि वह अपनी पढ़ाई पूरी होने तक ब्याह नहीं करेगी। लेकिन निशा ने बहुत कम उम्र में एक बड़ी जंग जीत ली है। बीमार परंपरा से जंग। अब निशा एक मिसाल है। बलरामपुर की हजारों बेटियां अब निशा को देखकर प्रेरणा पा रही हैं।
स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी ने श्वेता मिश्रा ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।
अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले में एक अभियान चला रहा है। इसके तहत 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।