भतीजी सोनी का बाल विवाह रुकवाने के लिए मौसी रेशमा शुक्ला की समझाइश ही काम आई। सोनी को जब लगा कि उसके कहने से माता-पिता शायद नहीं मानेंगे तो उसने मौसी की मदद लेना ही मुनासिब समझा। मां-मौसी के रिश्तों की गरमाहट का उसे अंदाज था। यहीं उसकी आस टिक गयी।
इकौना ब्लॉक के बिशुनापुर गांव की रेशमा से जब भतीजी ने तकलीफ बताई और पढ़ाई पूरी करके ही विवाह करने की इच्छा कारण सहित बताई, तो रेशमा तुरंत अपनी बड़ी बहन से बात करने के लिए राजी हो गयीं। कम उम्र में बेटी की शादी करने के खतरे कड़ाई से बड़ी बहन को बताये। बेटी और उसकी होने वाली संतान के स्वास्थ्य पर बाल विवाह से होने वाले नुकसान की बात सोनी की मां को समझ आ गयी और तब सोनी इस परेशानी से बच गयी।
स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी रीता तिवारी ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।
अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।