00 बेटी, ऐसा लड़का बड़ी मुश्किल से मिलता है। तेरी किस्मत है कि उनको तू पसंद आ गई है। पढ़ाई-लिखाई तो बाद में भी होती रहेगी..

अपनी मां के ये शब्द पुष्पा के कानों में अब भी गूंजते हैं। उसे याद है कुछ माह पहले जब वह स्कूल से घर लौटी थी तो घर में उसकी शादी की बात चल रही थी। हैरान-परेशान पुष्पा ने सबसे पूछा तो कोई सही से जवाब नहीं देता था। फिर मां ने कोने में ले जाकर उससे कहा था कि बेटी हर लड़की को एक न एक दिन तो ससुराल जाना ही पड़ता है।

यूपी का बलरामपुर जिला कच्ची उम्र में बेटियों का ब्याह कर दिए जाने के लिए बदनाम है। स्कूल छुड़ा कर शादी कर देना यहां कोई अनहोनी बात नहीं है। हर दूसरे घर में ऐसा होता है। इसलिए चरन गहिया गांव की पुष्पा की जिंदगी में जब यह मोड़ आया तो उसे छोड़ सबके लिए यह एक रोजमर्रा की घटना थी। लेकिन कस्तूरबा आर्या बालिका इंटर कॉलेज, तुलसीपुर, में बारहवीं में पढ़ रही पुष्पा ने फैसला कर लिया कि जो होता आया है, वह अब नहीं होगा।

पुष्पा ने मां का दिल पलटने के लिए तरीके से बैठकर बात करने की रणनीति अपनाई। मां के साथ बैठकर उसे समझाया कि क्यों उसका पढ़ते रहना जरूरी है। क्यों शादी उसकी जिंदगी में फुलस्टॉप साबित होगी और इसमें उसकी सेहत के लिए क्या क्या खतरे हैं। थोड़ा वक्त लगा लेकिन बाद में मां समझ गई। पुष्पा ने उनका फैसला पलट दिया। लड़केवालों को रिश्ता लौटा दिया गया।

स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी प्रियंका यादव ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।

अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले में एक अभियान चला रहा है। इसके तहत 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।

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