00 बड़े बदलाव की छोटी कहानियां | चार बेटियों के बाप ने लिया पवित्र संकल्प

राकेश मिश्रा किसान हैं और चार बेटियों व दो बेटों के पिता हैं। उनकी उपलब्धि यह है कि उन्होंने बेटियों को बेटों से बराबर तालीम दी है। वह कहते हैँ कि खुद उनकी शादी छोटी उम्र में हुई थी। वह गलती अब उनके बच्चे नहीं दोहराएंगे। बलरामपुर के ग्राम मचड़ी के निवासी राकेश मिश्रा बताते हैं कि उनके दोनों बेटे घर से दूर हैं। एक कंपनी सेक्रेटरी की पोस्ट पर है। दूसरा बलरामपुर में बीएससी कर रहा है। एक बेटी कानपुर में रहकर नेट की तैयारी कर रही है और दूसरी एक एनजीओ में काम करती है। दोनों छोटी बहनें भी स्कूल में पढ़ रही हैं।

राकेश का जीवन सूत्र बड़ा सादा है। बेटों की शादी इक्‍कीस बरस से पहले नहीं और बेटियों की अठारह से पहले नहीं। यही संकल्प उन्होंने बरसों पहले लिया था। उस पर उनका अमल जारी है। राकेश खुद बारहवीं कक्षा से आगे नहीं पढ़ पाए लेकिन बच्चों को वह उच्च शिक्षा दिलाएंगे, इसमें किसी को शक नहीं है।

स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी प्रियंका मिश्रा ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।

अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले में एक अभियान चला रहा है। इसके तहत 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।

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