अशोक की समझदारी और सतर्कता के चलते उसकी छोटी बहन की कच्ची उम्र में ही ब्याह दिये जाने से बच गयी और उसकी पढ़ाई भी जारी रह सकी। नौकरी से सिलसिले में अपने गांव दसियापुर से बाहर रहने के बावजूद अशोक को समय रहते पता चल गया था कि छोटी बहन कंचन की शादी की बात घर में शुरू हो गयी है। कम उम्र में शादी उसकी पूरी जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो जाएगा, मां से यह कहकर अशोक ने शादी की बात को आगे बढ़ने से रुकवा दिया।
ग्यारहवीं में पढ़ रही 18 साल की कंचन को इस बात की बेहद खुशी है कि बड़े भाई ने घर में ठीक से बात करके उसकी पढ़ाई भी जारी रखवाई और कच्ची उम्र में शादी से भी उसे बचा लिया। अशोक ने घर वालों को इस बात के लिए भी राजी किया कि जबतक कंचन अच्छे से पढ़-लिख कर कुछ बन न जाए, उसकी समझ में परिपक्वता न आ जाए, तबतक उसे शादी के बंधन में बांधने की जिद न की जाए। अपने इस समझदार भाई की मजबूत मदद ने कंचन को अपनी जिंदगी को एक सही मुकाम पर ले जाने की कोशिश करने की गुंजाइश हासिल करा दी।
स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी शशि शुक्ला ने अशोक और कंचन से विस्तार से बात करके यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।
अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।