गांव के सब लोग कह रहे थे कि जल्दी से सुमन की शादी कर दो। मां-पिता इसके लिए तैयार हो गये थे लेकिन सुमन अड़ गयी कि पढ़-लिख कर कुछ बन जाऊंगी, तभी शादी करूंगी। सुमन ने देखा था कि उसकी जिन सहेलियों की शादी कम उम्र में हुई, उन सबकी पढ़ाई छूट गयी। सुमन ने तय कर रखा है कि शिक्षिका बनने के बाद ही इस बारे में सोचेगी।
सुमन जानती है कि कम उम्र में शादी करने से लड़कियों का भविष्य बर्बाद हो जाता है। पढ़ाई छूटती है, स्वास्थ्य नष्ट होता है और आने वाली संतान भी कमजोर होती है। सब उसका देखा-समझा है। इसीलिए श्रावस्ती के धुम्बोझी गांव की इस समझदार बेटी ने अपने हालात को सही तरह से परख कर पढ़ाई जारी रखने का रास्ता चुना है। उसके एक-एक भाई बहन की शादी हो चुकी है और छोटे दो भाई पढ़ रहे हैं। मजदूरी करके पिता परिवार को पाल रहे हैं और इस कड़े संघर्ष से परिवार को उबारने में सुमन अपना भी योगदान करने को संकल्पित है।
स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी पिंकी देवी ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।
अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।