अतीत चाहे कितना ही घायल हो और वर्तमान कितना ही संघर्षपूर्ण, लेकिन भविष्य के सपने हमेशा गुलाबी होने चाहिए। उर्मिला शुक्ला की सच्ची कहानी हमें यही सबक देती है। उर्मिला कुछ समय पहले ही बाल विवाह से बाल-बाल बची थी। अभी उसने प्राइवेट से बीए का फार्म ही भरा है और ग्रेजुएट बनने से कुछ दूर है। लेकिन उसका सपना एक दिन प्रधानमंत्री बनने का है। वह कहती हैं कि राजनीति में उसकी बड़ी रुचि है।
बाल विवाह की ऊंची दर के लिए बदनाम श्रावस्ती जिले के इकौना ब्लॉक के बगनहा गांव की निवासी उर्मिला बताती हैं कि जब वह हाईस्कूल में थीं और जब उनकी उम्र बमुश्किल सोलह साल थी, तब उन्हें पड़ोसियों से पता चला कि उसकी शादी की तैयारी चल रही है। दुखी और निराश उर्मिला ने मां-बाप को समझाने की बहुत कोशिश की। लेकिन किसी ने उर्मिला के आंसू नहीं पोंछे।
आखिर में उर्मिला ने पड़ोस में रहने वाले अंकल-आंटी को अपना हमदर्द बनाया। उन्हें बताया कि कैसे वह शादी के लिए कतई तैयार नहीं है। अंकल आंटी समझदार थे। उन्होने उर्मिला के परिवार को समझाने का बीड़ा उठाया। कई दिन की समझाइश के बाद आखिरकार उर्मिला की शादी टल गई।
अब उर्मिला के सपने फिर से जिंदा हो गए हैं। उसने सिलाई-कढ़ाई सीखना आरंभ किया है। बीए की पढ़ाई चल ही रही है। उससे उसकी आपबीती पूछो तो वह हाथ जोड़कर सबसे अपील करने लगती है कि भगवान के लिए जल्दी शादी कर, अपनी बेटियों की जिंदगी बरबाद न करो।
अमर उजाला और यूनीसेफ के ` स्मार्ट बेटियां` अभियान के तहत इंटरनेट साथी ननकना यादव ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।
अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान `स्मार्ट बेटियां` के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।