00 बेटे की मौत से टूटे नहीं, पोतियों को बीए कराया | बड़े बदलाव की छोटी कहानियां

भले ही यूपी का श्रावस्ती जिला बाल विवाह की सबसे ऊंची दर के ‌लिए देश भर में कुख्यात हो, लेकिन उसी जिले के सोनरई गांव में एक वयोवृद्ध हैं जिनकी तपस्या के आगे सिर झुकाने को मन करता है। नब्बे साल के किसान लल्लू सिंह वास्तव में एक मिसाल हैं। उन्होंने जवान बेटे को अपने सामने दम तोड़ते देखा। लेकिन बिना हिम्‍मत हारे, बेटे के चार बच्चों और अपनी विधवा बहू के पालन-पोषण का जिम्मा उठाया और एक दिन अपने चारों पोते-पोतियों को ग्रेजुएशन करा कर दम लिया।

आज लल्लू सिंह के दोनों बड़े पोते ग्रेजुएट हैं। एक पोता प्राइवेट नौकरी करता है। दोनों पोतियों को भी ग्रेजुएट बनाकर ही ससुराल रवाना किया। अपनी पत्नी और विधवा बहू का भी पूरा ख्याल रखा। अब इस उम्र में भी खेती-बाड़ी करते हैं और मेहनत में जवानों को मात देते हैं।

दोष श्रावस्ती जिले का नहीं है। वहां के औसत परिवारों की गलत सोच का है। लल्लू सिंह साबित कर रहे हैं कि श्रावस्ती में भी समझदार परिवार-मुखियाओं की कमी नहीं।

अमर उजाला और यूनीसेफ के ` स्मार्ट बेटियां` अभियान के तहत इंटरनेट साथी अंबालिका सिंह ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।

अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान `स्मार्ट बेटियां` के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।

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