पिता जिस तरह हाड़तोड़ मेहनत कर अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसे जुटा रहे हैं उसे देख सबीना का दिल मसोस उठता था। घर की आमदनी का जरिया मजूरी ही है। इस संघर्ष के बीच बड़ी हो रही सबीना ने भी ठान रखा है कि अच्छी पढ़ाई करके शिक्षक बनेगी और माता-पिता से संघर्ष का कुछ कर्ज अदा करके ही शादी की बात सोचेगी।
श्रावस्ती के कटहा गांव की सबीना के पिता मजदूरी के लिए घर से दूर रहते हैं। जिस आर्थिक संघर्ष के बीच सबीना की पढ़ाई चल रही है, उसने सबीना में एक अलग ही तरह की समझ और मजबूती पैदा की है। उसके दिमाग में साफ है कि पढ़-लिख कर उसे शिक्षिका बनना है, माता-पिता के संघर्षों का कुछ-न-कुछ कर्ज उतारना है। घर वालों ने भी उसे अच्छी पढ़ाई करने से किसी प्रकार से रोका नहीं है। तीन बहनों और तीन भाइयों के साथ ही परिवार में एक भाभी भी हैं और मां का लगातार साया है।
सबीना कहती है बाल विवाह को रोकना भी माता-पिता का नाम रोशन करने का ही एक तरीका है। अपनी साफ सोच के साथ आगे बढ़ रही है सबीना।
स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी श्वेता राव ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।
अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।