नज़रिया श्रृंखला के तहत अमर उजाला फाउंडेशन पेश कर रहा है ऐसे लोगों की छोटी कहानियां जिनकी जिंदगी ने जमीनी हकीकत की स्लेट पर उनके हौसले से लिखा है उनका नज़रिया... ये बातें हैं उनकी जिन्होंने खुद को इतना समर्थ बनाया है कि अपने दम पर अपनी जिद और सपनों की मंजिल तय कर सकें। हालात का रोना रोने के बजाय अपनी सामर्थ्य भर खुद हालात बदलने की कोशिश करते चलें.. खुशियां बिखरते चलें..
मानसिक दिव्यांगता एक ऐसी चुनौती है, जिससे प्रभावित इंसान खुद अपने काबू में नहीं होता। अपनी देखभाल खुद नहीं कर पाता। ऐसे व्यक्ति को ऐसी देख-रेख की जरुरत होती है, जिसमें उसे माँ जैसी सतर्क और पूरी तरह से जिम्मेदार ममता मिलती रहे लगातार। ऐसी ही कोशिश कर रहा है लखनऊ के इंदिरा नगर इलाके के तकरोही में स्थित निर्वाण केंद्र..