आज अमर उजाला आपको उनके दर्द से रूबरू करवाने जा रहा है। तेजाब पीड़ितों की जुबानी जानिए उनके संघर्ष की कहानी है। तेजाब हमले के पीड़ितों का दर्द बांटने के लिए अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से हल्द्वानी के सेंट्रल अस्पताल में बुधवार से नि:शुल्क परीक्षण एवं सर्जरी शिविर शुरू हो गया। उत्तर भारत में यह अपनी तरह का पहला मुफ्त चिकित्सा शिविर है जिसमें एक साथ कई राज्यों के तेजाब पीड़ितों को स्तरीय चिकित्सा सुविधा मिलेगी।
विरोध किया तो फेंक दिया तेजाब
हल्द्वानी इलाज के लिए पहुंचे मेरठ निवासी राजनीता 16 दिसंबर 2013 का दिन शायद ही कभी भूल पाएगी। स्कूल से परीक्षा देकर लौट रही राजनीता के साथ रास्ते में एक लड़के ने बदतमीजी की। जवाब में राजनीता ने बहादुरी का परिचय दिया और लड़के को थप्पड़ जड़ दिया। राजनीता को यह नहीं पता था कि कुछ ही देर में उसके साथ कुछ होने जा रहा है। थप्पड़ खाकर लौटा लड़का अपने दो दोस्तों के साथ दूसरे रास्ते से आया और राजनीता पर तेजाब फेंककर भाग गया। राजनीता अब भी इस दर्द को समेट संघर्ष कर रही है। वह 20 बार प्लास्टिक सर्जरी करा चुकी है। राजनीता ने बताया जनवरी 2017 में दो आरोपियों को न्यायालय ने जेल भेज दिया जबकि एक अब भी बाहर है।
पता नहीं क्यों और किसने फेंका तेजाब
बिजनौर निवासी संजय सैनी के ऊपर जिस वक्त तेजाब फेंका गया उस समय उनकी उम्र सिर्फ 13 वर्ष की थी। सैनी को आज तक नहीं पता कि उनके ऊपर तेजाब किसने और क्यों फेंका। सैनी बताते हैं कि वह चौपाल पर सो रहे थे और अचानक कोई तेजाब फेंककर भाग गया। जलन के मारे जब उन्होंने चिल्लाना शुरू किया तो लोग घरों से बाहर निकल आए। उनका कहना है कि किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी।
गलती चालक की सजा भुगती मालिक ने
एटा निवासी अजीत सिंह की गाड़ी टैक्सी में चलती है। गाड़ी चालक चला रहा था और उससे दुर्घटना हो गई। दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई। सड़क दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति की मौत का बदला लेने के लिए उसके भाई ने 24 जनवरी 2010 को अजीत सिंह के ऊपर तेजाब फेंक दिया। बदले की भावना ने अजीत सिंह के चेहरे को झुलसा दिया। अजीत को इस बात की पीड़ा है कि रसूखदार होने की वजह से तीन साल बाद ही तेजाब फेंकने वाला जेल से छूट गया और अब खुले घूम रहा है।
इनका भी है दर्द
फुफेरा भाई मुझसे शादी करना चाहता था, लेकिन उसकी उम्र ज्यादा होने की वजह से घर वालों ने मना कर दिया। वह धमकी देकर चला गया कि अगर उसके साथ शादी नहीं हुई तो किसी और से भी नहीं होने देगा। इसके बाद उसने एक दिन मुझ पर तेजाब डाल दिया। हमने उस पर मुकदमा दर्ज करवाया। वह जेल में है। मैं अपनी दोनों आंखें बंद नहीं कर पाती, बहुत तकलीफ होती है। -परवीन, 20 साल
आठ साल पहले मेरे साथ यह हादसा हुआ। सहेली के साथ ट्यूशन जा रही थी। एक लड़का सहेली से बात करना चाहता था उसने मना कर दिया, वह उस पर तेजाब डाल रहा था, जो मुझ पर भी गिर गया। उसकी हालत बहुत गंभीर थी। उसके चेहरे पर कुछ नहीं बचा। मेरे गले पर भी निशान पड़ गएl -ज्योति शर्मा, 22 साल, एमसीए फाइनल, धामपुर
सिलाई का काम करता हूं। पांच साल पहले रात के समय घर जा रहा था। अचानक किसी ने तेजाब डाल दिया। आंखों में तेजाब के छींटे पड़ गए। न किसी से झगड़ा था, न कोई दुश्मनी। पुलिस भी कुछ पता नहीं कर पाई। हादसे के बाद से हर समय चेहरे पर कपड़ा बांधे रखता हूं। बाहर आने-जाने में झिझक और शर्म आती है। -फैजी, 20 साल
1998 में देवर ने घर के कलह के चलते मुझ पर तेजाब डाल दिया गया। हादसे में मैंने अपनी एक आंख खो दी। इसके बाद देवर डरकर घर से चला गया, दो दिन तक नहीं लौटा और तीसरे दिन ट्रेन से कटकर उसकी मौत हो गई इसलिए एफआईआर नहीं की। हादसे के बाद से जिंदगी बहुत मुश्किल हो गई। -संगीता देवी, प्रतापगढ़
घर पर रखा तेजाब मेरे चेहरे पर गिर गया। हादसे में अपनी एक आंख हमेशा के लिए खो दी। दूसरी आंख भी बंद ही रहती है। उससे देख नहीं सकती हूं। जिंदगी बहुत कठिन है। जब यह हादसा हुआ, तब बच्चे छोटे थे। आज बच्चे बड़े हो गए हैं, लेकिन उन्हें बढ़ते हुए नहीं देख पाई। डॉक्टर का कहना है कि सर्जरी से आंख खुल जाएगी और एक आंख से देख पाऊंगी। मेरी ख्वाहिश है कि एक बार अपने बच्चों को देख सकूं। पूरे शरीर पर कटे के निशान हैं। चेन्नई के बारे में पंद्रह साल से सुन रही थी, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से इलाज को वहां जा न सकी। पति रिक्शा चलाते हैं। आज अमर उजाला फाउंडेशन की वजह से चेन्नई के डॉक्टर खुद ही यहां आए हैं। सबसे छोटा बेटा नदीम आईटीआई कर रहा है। जब हादसा हुआ तब वह महज ढाई साल का था। -मीना, दिल्ली
जब ढाई साल की थी, पानी समझ कर तेजाब की बोतल उठा ली और तेजाब चेहरे पर गिर गया। मैं अब नहीं चाहती कि मेरा इलाज हो। समाज क्या कहता है, मुझे अब फर्क नहीं पड़ता, लेकिन पति के कहने पर इलाज करा रही हूं। पति कहते हैं कि जब चेहरा ठीक हो जाएगा तभी अपने घर ले जाएंगे। ऐसे चेहरे के साथ वह कहीं घुमाने भी नहीं लेकर जाते, खुद भी कहीं नहीं जाते। ससुराल वाले भी कहते हैं कि इलाज करवाओ ताकि दुनिया वाले न कहें कि कैसी बहू लाए हैं। पति चंडीगढ़ में काम करते हैं, उन्हीं के साथ रहती हूं। -मोहिनी, 25 चंडीगढ़
अब नाक, कान और आंख की देखरेख की जरूरत नहीं
एनाप्लास्टोलाजिस्ट डॉ. सचिन गुप्ता ने बताया कि तेजाब पीड़ितों के अगर नाक, कान या आंख हमले में खराब हो जाते हैं तो नए लगा दिए जाते हैं। नए नाक, कान और आंख ऐसे होते हैं कि सामने वाले को नहीं पता चलेगा कि असली है या नकली। नाक, कान और आंख बनाकर लगाई जाती है। नाक और कान सिलिकॉन से बनते हैं जबकि आंख एक्रेलिक से बनाई जाती है। उन्होंने कहा कि आस्टियो इंटीग्रेटेड इंप्लांट से जो नाक या कान बनते हैं उसे फिक्स कर दिया जाता है। नाक, कान और आंख की देखरेख (मेंटीनेंस) की जरूरत नहीं होती है।
तेजाब का हमला होने पर सादे पानी से धोएं
सेंट्रल हास्पिटल के प्लास्टिक सर्जन डॉ. प्रकाश कुमार ने बताया कि अगर किसी के ऊपर तेजाब का हमला होता है तो उस स्थान को साधारण पानी से धोना चाहिए। पानी से धुलाई इस तरह करनी चाहिए कि धुला हुआ पानी बहकर शरीर के दूसरे सामान्य हिस्से पर न गिरे। इसके बाद पीड़ित को सीधे बर्न सेंटर लेकर जाना चाहिए। प्राथमिक इलाज के बाद अगर पीड़ित की स्थिति ठीक है तो जांघ पर से खाल का एक पता हिस्सा निकालकर एसिड से हुए जख्मों को भर दिया जाता है।
कई बार गला, हाथ, नाक, कान, हाथ या कंधा एसिड अटैक के बाद चिपक जाता है। जल्द ग्राफ्टिंग करने में मरीज के बेहतर होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। डॉ. कुमार ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से पीड़ित को सामान्य जीवन देने का प्रयास किया जाता है। तेजाब हमले के कुछ मामलों में पीड़ित की कई बार प्लास्टिक सर्जरी करनी पड़ती है।