गोरखपुर। शहर के आला पुलिस अफसर मंगलवार को विद्यार्थियों से मुखातिब थे। जिज्ञासा भरे सवालों की झड़ी थी तो उनका माकूल जवाब भी वहीं मौजूद था। यह अवसर दिया था ‘पुलिस की पाठशाला’ के माध्यम से अमर उजाला फाउंडेशन ने। महात्मा गांधी पीजी कॉलेज के छात्र और छात्राओं ने सवाल-जवाब के क्रम में पुलिस अधिकारियों की सहजता देखी तो उनके मन से पुलिस का भय तो जाता ही रहा, साथ ही दोस्त सरीखा अहसास भी हुआ।
‘कानून का सम्मान और कानून से जीवन आसान’ थीम पर आयोजित पाठशाला की शुरुआत दीप जलाने के साथ हुई। कॉलेज प्रबंधक प्रेम नारायण श्रीवास्तव के स्वागत संबोधन के बाद युवाओं की उत्सुकता देख आगे बढ़कर डीआईजी आरके चतुर्वेदी ने पाठशाला की कमान संभाल ली। पुलिस को लेकर भ्रम और भ्रांति को तोड़ने के लिए आगे आए डीआईजी ने 100 नंबर की जानकारी पर विद्यार्थियों से सवाल पूछ उनकी झिझक तोड़ी। अंजलि प्रजापति ने ज्यों ही डीआईजी के सवाल का जवाब दिया, उसके बाद तो सवालों की बौछार सी शुरू हो गई। नामवर त्रिपाठी ने पुलिस के तकनीकी सेटअप के आधुनिकीकरण पर सवाल उठाया तो डीआईजी ने स्थिति स्पष्ट की।
सवाल-जवाब के क्रम में डीआईजी पुलिस को लेकर मानसिकता बदलने की सलाह देने से भी नहीं चूके। इसकी पहल उन्होंने मां-पिता के स्तर से होने की सलाह दी। छात्र प्रेमप्रकाश के इस सवाल पर कि पुलिस गरीबों की नहीं सुनती, उन्होंने कहा कि ज्यादातर गरीब ही पुलिस तक पहुंचते हैं। ऐसे में यह बात बेमानी है। भ्रष्टाचार के सवाल पर डीआईजी ने कहा कि हर व्यक्ति पुलिस वालों की जगह अपने को रख कर अपनी जिम्मेदारियों को समझे तो यह समस्या खुद-ब-खुद दूर हो जाएगी।
एसपी (सिटी) हेमंत कुटियाल ने पुलिस के पदक्रम और साइबर क्राइम से जुड़ी युवाओं की जिज्ञासाओं को शांत किया। छात्रा प्रियंका शर्मा ने जब व्हाट्सएप पर मिलने वाले उल-जुलूल संदेश से बचने के उपाय पूछा तो उन्होंने सलाह दी कि इसका एकमात्र इलाज खुद को सतर्क रखना है।
महिला थाना प्रभारी डॉ. शालिनी सिंह ने पुलिस की भूमिका की तुलना इंश्योरेंस पॉलिसी के उस संदेश से की, जिसमें कहा जाता है कि ‘जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी’। अपने संबोधन में डॉ. शालिनी ने पुलिस की चुनौतियां भी युवाओं से साझा कीं। पाठशाला के संचालन की जिम्मेदारी डॉ. शैल पांडेय ने निभाई। इस दौरान कॉलेज प्राचार्य डॉ. एसके श्रीवास्तव, डॉ. निखिलकांत शुक्ल, डॉ. आलोक कुमार श्रीवास्तव, डॉ. मधुलिका श्रीवास्तव, नवीन कुमार, कमलेश लाल, विवेक यादव आदि मौजूद रहे।
सुरक्षा को लेकर हमारी चिंता को इस पाठशाला ने न केवल दूर किया बल्कि इसे लेकर हमारा ज्ञान भी बढ़ा है। खासकर साइबर क्राइम को लेकर कई सवालों पर आज विराम लग गए। - सत्यम कुमार गुप्ता
मेरे लिये यह पहला अनुभव था कि पुलिस के अधिकारियों से सीधे बातचीत का अवसर मिला। उनकी एक-एक सलाह को ध्यान से सुना और आत्मसात किया है। अपने इस अनुभव से और लोगों को समृद्ध करूंगी। -अंजलि गुप्ता
आमतौर पर पुलिस के बारे यह अवधारणा है कि वह ठीक से बात तक नहीं करती। लेकिन इस पाठशाला में पुलिस का नया चेहरा देखने को मिला। पुलिस को लेकर बनी इस नई समझ को मैं सबसे साझा करूंगी। -लवली राय
पुलिस व युवाओं को यह संवाद हमारे लिये बेहद लाभकारी रहा। यह सिलसिला अनवरत जारी रहे तो बेहतर होगा। इससे न केवल युवाओं की समस्या का समाधान होगा, बल्कि पुलिस को समझने में आसानी होगी। -अनूप कुमार सिंह
पुलिस और युवाओं के बीच दूरी को कम करने के लिए यदि ऐसे प्रयास लगातार हों तो वह दिन दूर नहीं जब युवा पुलिस के सहयोगी साबित होंगे। हर महीने किसी न किसी कॉलेज में ऐसा आयोजन होना चाहिए। -संध्या चौधरी
डीआईजी साहब ने जिस सहजता से पुलिस की कार्यशैली के बारे में बताया और हमसे हमारी समस्याओं को पूछा। वह वास्तव में प्रभावित करने वाला था। मुझे उनकी सलाह ने काफी प्रभावित किया। -प्रीति कुमारी
अमर उजाला फाउंडेशन ने महात्मा गांधी पीजी कॉलेज में आयोजित की ‘पुलिस की पाठशाला’
•कार्यक्रम में युवाओं ने लगाई जिज्ञासा भरे सवालों की झड़ी
•डीआईजी और एसपी (सिटी) ने हर पहलू विस्तार से समझाया
•पुलिस पर भरोसा करें, वह आपकी मदद जरूर करेगी।
•नई व्यवस्था के अनुरूप थाने से शिकायत की पर्ची लें।
•संकट में घिरने पर 100 और 1090 पर कॉल करें।
•निचले स्तर से समस्या का समाधान न होने पर ऊपर शिकायत करने से न चूकें।
•शिकायत के लिए एसएमएस का भी इस्तेमाल संभव।
•यूपी पुलिस की वेबसाइट पर मौजूद हैं सारे नंबर।
•फेसबुक-व्हाट्सएप के फोटो का दुरुपयोग संभव।
•मोबाइल या सोशल साइट्स के संदेशों का सोच-समझ कर जवाब दें।
•इंटरनेट बैकिंग करते समय वर्चुअल की-बोर्ड का ही इस्तेमाल सुनिश्चित करें।