000 तेजाब हमले में पीड़ितों के परिजनों ने बताया कैसी हो गई थी उनके बच्चों की जिंदगी
तेजाब हमले में पीड़ितों के परिजनों ने बताया कैसी हो गई थी उनके बच्चों की जिंदगी

अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से तेजाब हमले के पीड़ितों को इलाज मिला तो उनके परिजनों का दर्द उमड़ पड़ा। उन्होंने जो बातें कही पढ़कर आपकी आंखे भी नम हो जाएंगी।निशुल्क परीक्षण और सर्जरी शिविर के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को नौ मरीजों की सर्जरी की गई। डॉक्टरों ने 15 अन्य पीड़ितों को सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती किया है। समाज की मुख्य धारा से अलग-थलग हो चुके तेजाब हमले के पीड़ितों को अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से आयोजित निशुल्क परीक्षण एवं सर्जरी शिविर में उम्मीद किरण दिखाई पड़ी।

तेजाब पीड़ितों को इलाज मिला तो दुआओं के लिए उनके परिजनों के हाथ उठे। कहा कि उत्तर भारत में तेजाब पीड़ितों के लिए यह पहला शिविर है और अमर उजाला फाउंडेशन ने अभिनव पहल की है। शिविर में एसआईएमएस अस्पताल वाडापलानी चेन्नई के प्रख्यात प्लास्टिक सर्जन डॉ. के श्रीधर एवं उनकी टीम तेजाब पीड़ितों की सर्जरी कर रही है। निशुल्क सर्जरी होने के कारण तेजाब पीड़ितों का मनोबल बढ़ा हुआ है। पीड़ितों के मन में आस है कि सर्जरी के बाद वे स्वस्थ हो जाएंगे। रोजमर्रा के जीवन के काम करने में उन्हें कठिनाई नहीं होगी।

बच्चों की जिंदगी बन जाए और क्या चाहिए
तेजाब पीड़ितों के परिजनों ने कहा कि वो बड़ी उम्मीद लेकर यहां आए हैं। सर्जरी बहुत महंगी है और ऐसे में अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से निशुल्क सर्जरी शिविर कराना डूबते को सहारा देने जैसा है। तेजाब पीड़ितों एवं उनके परिजनों को ठहरने के लिए हरगोविंद सुयाल सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज के प्रबंध ने कालेज भी निशुल्क उपलब्ध कराया है।

सर्जरी के लिए ये 15 मरीज किए गए भर्ती
सितारा बी बदायूं, सुमालला नैनीताल, पुष्पा देवी बागेश्वर, परवीन देवबंद सहारनपुर, मोहनी गुप्ता रुद्रपुर, दिव्या शर्मा मुरादाबाद, मीरा देवी बरेली, रीना पाल प्रतापगढ़, जहांआरा हल्द्वानी, इल्मा मुरादाबाद, हीना बी चंदौसी मुरादाबाद, गुलनाज खां जसपुर, बालक राम पीलीभीत, अजीत सिंह एटा, रिंकू रामपुर।

बच्चों की जिंदगी बन जाए और क्या चाहिए
हल्द्वानी के शाहिद की मां अफरीदा खातून कहती हैं कि 10 जून 2014 को हादसा हुआ था। तब बेटा शाहिद तीन और उसके शौहर की बहन नाजिया तीन साल की थी। शाहिद, नाजिया और पड़ोस में रहने वाला फैजान तीनों बच्चे खेल रहे थे। तभी पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति ने फैजान के घर से आपसी रंजिश के चलते बच्चों पर तेजाब की बोतल फेंक दी। इससे बच्चों की जिंदगी खराब हो गई। अमर उजाला ने जो प्रयास किया है वह काफी सराहनीय है। शाहिद और नाजिया को यहां इलाज के लिए लाए हैं। बच्चों की जिंदगी बन जाए, हम इसके लिए अमर उजाला के शुक्रगुजार रहेंगे।

शायद हमें खुशियां वापस मिल जाएं

शायद हमें खुशियां वापस मिल जाएं
हल्द्वानी के 12 साल के फैजान की मां शाहीन बताती हैं कि नाजिया, शाहिद और मेरे बेटे तो खेल रहे थे, रंजिश के चलते तेजाब का शिकार हो गए। स्कूल और आसपास बच्चे भूत-भूत कहकर उन्हें चिढ़ाते हैं। बच्चे न तो बाहर खेलना पसंद करते हैं और न ही किसी से बात करना। यहां तक कि वह शीशा देखने से भी डरते हैं। यहां आकर एक उम्मीद जगी है, यहां सबका भला हो रहा है। दूर-दूर से लोग आए हैं शायद हमारे बच्चों का खोया हुआ आत्मविश्वास भी लौट आए।

यहां की सुविधाएं शानदार हैं
मुरादाबाद के विशाल के पिता चंद्रपाल और मां केलादेवी कही हैं कि उनके बेटे की उम्र साल की है। चार साल पहले खेलते हुए घर पर रखी तेजाब की बोतल विशाल के पैर पर गिर गई। इससे उसका दाहिना पैर झुलस गया। अमर उजाला अखबार में पीड़ितों के इलाज की खबर पढ़ी तो यहां आ गए। यहां सभी सुविधाएं हमें दी जा रही हैं। रहने, खाने से लेकर इलाज की सुविधा। इसके लिए हम अमर उजाला के शुक्रगुजार हैं।

बेटे की तीन साल पहले सर्जरी कराई थी
मवाना (मेरठ) के इकबाल अहमद के अनुसार करीब पंद्रह साल पहले की बात है। हम हैंडपंप फिट करने का काम करते हैं। घर पर जाली साफ करने के लिए तेजाब रखा था। तब बेटा नदीम सात साल का था। अनजाने में उसने तेजाब की बोतल अपने ऊपर गिरा दी। इससे उसका चेहरा झुलस गया। अभी नदीम की उम्र 22 साल है। तीन साल पहले हमने मेरठ के सुभारती अस्पताल में नदीम की सर्जरी करवाई थी। अब अमर उजाला के इस सकारात्मक कदम के चलते हम लोग यहां आए हैं। ऐसे लोगों की सहायता के लिए अमर उजाला ने सोचा है, इसके लिए हम आभारी हैं। यहां सभी तरह की सुविधाएं हमें दी जा रही हैं।

इन्होंने भी कहा शुक्रिया

मां लक्ष्मी घर पर अकेले थी। मैं कॉलेज गया था और पिता ड्यूटी पर थे। एक दरोगा और उसकी पत्नी ने घर में घुसकर मां के ऊपर तेजाब डाल दिया था। अध्यापकों ने बताया कि मेरे घर से आवाजें आ रही हैं। मैं भागकर घर पहुंचा तो दरवाजा अंदर से बंद था। बाउंड्री कूदकर मां को बचाने गया तब तक दरोगा और उसकी पत्नी पिछले दरवाजे से भाग गए थे। अब सभी लोग खटीमा में रह रहे हैं। अमर उजाला फाउंडेशन ने ऐसा शिविर आयोजित कर तेजाब पीड़ितों को सहारा दिया है। ये एक सराहनीय पहल है।  - पवन जोशी, खटीमा

बगल में रहने वाला परिवार मेरी जमीन पर डेयरी खोलने के लिए मांग रहा था। मना किया तो नाराज हो गया। उनके घर के एक लड़के ने मेरी बेटी के नाम से एक चिट्ठी घर में फेंकी थी, जब शिकायत की तो बोले आगे से ऐसा नहीं होगा। अगले दिन पांच लीटर का तेजाब का केन छत के ऊपर से बेटी हिना के ऊपर गिरा दिया।  - अतीक, हापुड़

उपकरण की सफाई के लिए तेजाब लाते थे। तेजाब के गत्ते के ऊपर रखा था। बेटा अचानक खेलते हुए गत्ते के पास पहुंच गया और उसका हाथ गत्ते पर लग गया। गत्ते पर हाथ लगने के साथ ही तेजाब बेटे सुधीर कुमार के ऊपर गिर गया। इतने समृद्ध नहीं है कि बेटे का इलाज करा पाते ऐसे में अमर उजाला फाउंडेशन ने गरीबों के लिए सहारा बनकर आया है। - हेम पाल सिंह, आगरा

भाई कुलदीप को लेकर इलाज के लिए आई हूं। शिविर में चेन्नई से देश के प्रख्यात प्लास्टिक सर्जन डॉ. के श्रीधर एवं उनकी टीम आई है। उम्मीद है कि अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से आयोजित इस शिविर में मेरा भाई ठीक हो जाएगा। ऐसा शिविर उत्तर भारत में पहली बार आयोजित हो रहा है। - नीलम, बरेल

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