अमर उजाला फाउंडेशन और बाल चित्र समिति, भारत की ओर से सोमवार, 20 मई, 2019 को गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित सेंट टेरसा स्कूल में बाल फिल्म महोत्सव का आयोजन किया गयाl इस दौरान 6वीं कक्षा में पढ़ रहे करीब 300 बच्चों को 75 मिनट की बाल फिल्म 'महक मिर्जा' दिखाई गईl फिल्म में महक का किरदार बच्चों को बेहद पसंद आयाl बच्चों ने सीखा कि हमें सपने देखने चाहिए। हर बच्चे की अलग प्रतिभा होती है, उससे बस पहचाने की जरुरत है। हमें दूसरों जैसा नहीं बनना चाहिए। सपने एक दिन सच जरुर होते हैं।
इसके बाद 8वीं कक्षा के लगभग 250 बच्चों को 'एक अजूबा' नामक बाल फिल्म दिखाई गई। फिल्म की कहनी ने अंधविश्वास पर विश्वास नहीं करने की सीख दी। फिल्म में बच्चों को रत्न और चित्रा का किरदार पसंद आया। फिल्म में अमरीश पुरी बच्चों के मन से अंधविश्वास को भगाते है। वह संदेश देते है कि अगर बच्चा आत्मविश्वास से भरा हो तो वह कठिन से कठिन राह भी आसानी से पार कर सकता है। स्कूल की एजुकेशन डायरेक्टर ने रेनू श्रीवास्तव ने कहा कि अमर उजाला फाउंडेशन और बाल चित्र समिति का यह प्रयास बहुत ही सरहानीय है। बच्चों को इन फिल्मों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
एक अजूबा फिल्म बहुत ही प्रेरणादायक है। इससे सीख मिलती है कि हम अंधविश्वास में नहीं रहना चाहिए। अपनी मेहनत के जरिए हम कोई भी मुकाम हासिल कर सकते हैं। कृष, छात्र
फिल्म से बहुत कुछ सीखने को मिला। चित्रा का किरदार बहुत ही अच्छा है। अगर हम मेहनत और विश्वास से जो कुछ भी करेंगे तो उसमें अवश्य सफल होंगे। - मानवी, छात्रा
महक मिर्जा से सीख मिलती है कि हमें सपने देखने चाहिए। अपनी प्रतिभा को पहचानकर हम उन सपनों को सच कर सकते हैं। - देवश्री, छात्रा
जिंदगी में सपने बहुत ही जरुरी है। वह हमें आगे बढऩे की प्रेरणा देते हैं। कभी भी दूसरों की तरह नहीं बनना चाहिए। अपनी प्रतिभा को पहचान लिया जाए तो हम ऊंचाईयों को छू सकते हैं। - नंदिता, छात्रा