अमर उजाला फाउंडेशन और बाल चित्र समिति की ओर से बाल फिल्म महोत्सव के तहत दिखाई जा रही बाल फिल्मों के क्रम में गुुुरुवार, 13 दिसम्बर, 2018 को मिर्जापुर के तीन विद्यालयों में बाल फिल्में दिखाई गई। इन फिल्मों को देखकर बच्चे खासे खुश दिखे। उन्होंने इन फिल्मों को शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक बताया। इस दौरान बच्चों से किताबी ज्ञान तक सीमित ना रहते हुए वर्तमान परिवेश में सामाजिक शिक्षा के महत्व के संबंध में बातचीत भी की गई।
नगर क्षेत्र के मुसफ्फरगंज स्थित एस.एन पब्लिक स्कूल व हास्टल के हाल में बाल फिल्म महोत्सव के दौरान करीब पांच सौ छात्र-छात्राओं को एक घंटे की बाल फिल्म छोटा सिपाही दिखाई गई। देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत इस फिल्म को देखकर बच्चे खासे प्रभावित दिखे। विद्यालय के डायरेक्टर राजेश सिंह व संध्या सिंह ने अमर उजाला फाउंडेशन और बाल चित्र समिति के इस प्रयास की प्रशंसा की। वर्धमान पब्लिक स्कूल के सभागार में 45 मिनट की फिल्म एक अजूबा दिखाई गई। लगभग चार सौ छात्र-छात्राओं ने यह फिल्म देखी। पहली बार अपने स्कूल में प्रोजेक्टर पर फिल्म देखकर बच्चे काफी खुश हुए। विद्यालय के डायरेक्टर डॉ. अश्वनी जैन ने कहा कि बाल फिल्में अपनी-अलग कहानियों से छात्र-छात्राओं के मन में गहराई से पैठ बनाती है और साथ-साथ बेहतरीन सीख भी देती है।
नगर के लालडिग्गी स्थित लायंस स्कूल के बिड़ला प्रेक्षागृह में करीब साढ़े आठ सौ छात्र-छात्राओं ने सवा घंटे की फिल्म कभी पास कभी फेल दिखाई गई। बाल फिल्म देखकर बच्चे काफी उत्साहित हुए व खुश थे। विद्यार्थियों ने बताया फिल्म बहुत अच्छी रही और इससे ज्ञान वर्धक बातें सीखने को मिली। बाल फिल्म देखने के बाद स्कूल के प्रधानाचार्य एन.के पांडेय ने कहा कि बच्चों को फिल्म दिखाना फाउंडेशन का सराहनीय पहल है।
बाल फिल्में देख खुशी से झूमे बच्चों ने कहा:
छोटा सिपाही बाल फिल्म के माध्यम से हमें सीख मिली कि हमें खुद पर भरोसा रखना चाहिए। खुद पर भरोसा हो तो हम जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं।- मोहित निराला।
बाल फिल्म बहुत ही अच्छी थी। इसे देखकर बच्चों में राष्ट्र के उत्थान के प्रति भावना जागृत हुई। ऐसी फिल्में हमेशा समाज को प्रेरणा देती रहती हैं। - विकास यादव
छोटा सिपाही फिल्म में मछुआरे का अत्यंत गरीब बेटा जोजो ने तिरंगा की रक्षा करते हुए जो सराहनीय कार्य किया है, उसकी जितनी तारीफ की जाए वह कम है। - आशुतोष शुक्ला
कभी पास कभी फेल फिल्म में हर सवालों का जवाब कम और सही समय में रॉबीन देता था। हमें उसके जैसा बनने की प्रेरणा मिली। - तनु शुक्ला
इस फिल्म में रॉबिन का दिमाग कंप्यूटर जैसा था और वह पढ़ाई में बहुत तेज था। वर्तमान परिवेश में हर छात्र को उसके जैसा बनना चाहिए। - अदिती सिंह
कभी पास कभी फेल बाल फिल्म से अच्छी सीख मिली। कभी भी किसी के कहने से झूठ नहीं बोलना चाहिए। झूठ बोलने से कहीं इज्जत नहीं मिलती।- नबीला
एक अजुबा फिल्म अच्छी रही और इससे ज्ञानवर्धक बातें सीखने और देखने को मिली।- रिमझिम जायसवाल
विद्यालय में दिखाई गई बाल फिल्म अजुबा से बच्चों को कई नई बातें सीखने को मिली।- श्रेेया सिंह
ऐसी ज्ञानवर्धक फिल्मों के देखने से विद्यार्थियों के आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है।- आकांक्षा मौर्या