मनुष्य में यह क्षमता होती है कि वह अपने प्रयासों से नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल सकता है। जीवन में सकारात्मक रहने और अपने ऊपर विश्वास बनाए रखने से काफी सफलताएं हासिल की जा सकती हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद भवन परिसर में अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति- 2019 प्राप्त करने वाले बच्चों से मुलाकात के दौरान यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि मताधिकार का सर्वाधिक उपयोग करना यह दिखाता है कि जनता का लोकतंत्र में विश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी में संविधान की मर्यादाओं का पालन किया जाए, यह आशा की जाती है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार, 7 फरवरी, 2020 को संसद भवन परिसर में अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से दी जाने वाली अतुल माहेश्वरी छात्रवृति, 2019 के विजेताओं को सम्मानित किया। इस छात्रवृत्ति के लिए 36 सामान्य और दो विशेष छात्रों का चयन किया गया है। इससे पहले अमर उजाला के संपादक इंदु शेखर पंचोली ने लोकसभा अध्यक्ष के व्यक्तित्व और जीवन में उनके संघर्ष से बच्चों को परिचित कराया। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि, मैं अमर उजाला परिवार को बधाई देता हूं जिसने बच्चों को देश के लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर (संसद भवन) को देखने का अवसर दिया।
उन्होंने बच्चों को बताया कि भारतीय संसद का इतिहास आजादी के भी पहले का है और उन्हें इससे परिचित कराया जाना चाहिए। उन्होंने बच्चों को संसद की कार्यवाही देखने के लिए कहा जिससे कि लोकतंत्र के प्रति उनका विश्वास बढ़े। अतुल माहेश्वरी छात्रवृति 2019 पाने वाले बच्चे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर व उत्तर प्रदेश के हैं। इस छात्रवृत्ति के तहत नौवीं से दसवीं के बच्चों को 30 हजार रुपये की राशि व 11वीं से बारहवीं तक के बच्चों को 50 हजार रुपये की राशि प्रदान की जाती है।
बच्चों ने लोकसभा अध्यक्ष से किए सवाल
लोकसभा अध्यक्ष से सम्मानित होने से पहले कुछ बच्चों ने उनसे सवाल भी किए। जम्मू-कश्मीर की एक छात्रा मनी देवी ने उनसे सवाल किया कि उन्हें जीवन में किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और कैसे उन पर फतह पाई?
इस पर उन्होंने अपने विद्यार्थी काल से लेकर विधायक बनने तक के सफर को साझा किया। कैसे उन्होंने गरीबों और अभावों में रहने वालों की मदद की। साथ ही उन्होंने कहा कि जीवन में आत्मविश्वास और सपने बड़े होने चाहिए। दृढ़ इच्छाशक्ति, उत्साह, उमंग और विश्वास होना चाहिए।
विपरीत परिस्थितियों में भी संकल्प पूरे हो जाते हैं
वहीं, उत्तर प्रदेश के एक छात्र राहुल कुमार ने उनसे पूछा कि जीवन में नकारात्मकता को कैसे दूर किया जा सकता है। इस पर उन्होंने सहज तरीके से जवाब दिया कि सकारात्मकता और नकारात्मकता दो पक्ष होते हैं, लेकिन नकारात्मकता को हमेशा नजरअंदाज करना चाहिए। विचारकों, संतों व अन्य किताबों को पढ़ते रहना चाहिए इससे विश्वास बनता है।
एक छात्र के जवाब में उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में ज्ञानवान लोग आएंगे तो अच्छे राष्ट्र का निर्माण होगा। युवाओं की राजनीति में सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए।
संसद भवन देखने के बाद बच्चों के अनुभव
संसद भवन देखना व स्पीकर से मिलना एक अच्छा अनुभव रहा है। यह जीवन भर याद रखने वाला पल है। संसद का यह अनुभव जिंदगी में काम आएगा। अतुल माहेश्वरी छात्रवृति मेरी आगे की पढ़ाई में मददगार होगी। - अमित कुमार यादव (भदोही)
संसद देखना सपने जैसा है। सोचा नहीं था कि जीवन में कभी ऐसा भी अवसर मिलेगा। अमर उजाला का शुक्रिया, जिसके कारण यह संभव हो सका। अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति मुझे आगे पढने के लिए सहायता करेगी। - परनीत कौर (पंचकूला)
संसद भवन में जाना एक कल्पना थी जो कि आज साकार हो गई। यह मेरे साथ-साथ मेरे परिवार के लिए भी गर्व की बात है। यह एक अनूठा अनुभव है, इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। अतुल माहेश्वरी छात्रवृति मिलने के कारण ही यह सौभाग्य मिला। - सौरभ तिवारी (सिद्धार्थ नगर)
संसद को टीवी में देखा था और इसके बारे में किताबों में पढ़ा था। अतुल माहेश्वरी छात्रवृति के कारण संसद परिसर में आने व यहां स्पीकर से मिलने का मौका मिला। यह कल्पना से परे का पल है। यह एक ऐसा अनुभव है जिसे भुलाया नहीं जा सकता है। - मनी देवी (जम्मू और कश्मीर)
वॉर मेमोरियल, इंडिया गेट, मुगल गॉर्डन घूमे बच्चे
देश भर के सात राज्यों से अतुल माहेश्वरी छात्रवृति के लिए चुने गए 36 बच्चों को संसद परिसर के साथ-साथ दिल्ली के अन्य स्थानों का भ्रमण भी कराया गया। सम्मानित होने से पहले सुबह सभी बच्चे अपने परिवार के साथ इंडिया गेट स्थित वॉर मेमोरियल, इंडिया गेट, व मुगल गार्डन भी घूमने गए।
यहां जाकर बच्चों के चेहरे खिल उठे। अधिकतर बच्चे कभी अपने राज्य से बाहर नहीं निकले। ऐसे में उनके लिए दिल्ली के इन स्थानों पर जाना एक बेहतरीन अनुभव रहा। इंडिया गेट जाकर बच्चों को उसके ऐतिहासिक महत्व को जानने समझने का अवसर मिला। सभी बच्चों के लिए दिल्ली घूमना किसी सपने से कम नहीं था। उसके बाद उन्हें 'सेवन वंडर' पार्क दिखाने के लिए ले जाया गया।