अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति परीक्षा- 2019 में आगरा के आलोक कुमार और फिरोजाबाद के राहुल कुमार का चयन हुआ है। इन दोनों ने अपनी मंजिल तय कर रखी है। रास्ते में एक ही बाधा थी, पैसे की कमी। फीस भरना तक मुश्किल हो रहा था। इनका कहना है कि छात्रवृत्ति ने नया हौसला दिया है, अब दोगुना उत्साह के साथ सपने पूरे करने के लिए पढ़ाई करेंगे। फिरोजाबाद के अहिवरनपुर गोपालपुर गांव के राहुल का एक ही सपना है और एक ही लक्ष्य है, इंजीनियर बनना।
अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा संचालित अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति परीक्षा- 2019 में चयनित होने के बाद उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है। उनका कहना है कि दिन-रात एक ही चिंता रहती थी, इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए कोचिंग कैसे करूंगा? किताबें कैसे खरीद पाऊंगा? क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। पिता रविंद्र सिंह खेती करते हैं। राहुल का एक भाई और एक बहन है।
'अब दोगुने उत्साह से करेंगे पढ़ाई'
वो कहते हैं कि पापा के पास सिर्फ चार बीघा खेत है। घर का खर्च चलाना भी मुश्किल है, श्रीराम बाल भारती इंटर कॉलेज एटा में इंटर के छात्र राहुल बताया कि उसे पढ़ाई के लिए किताबें भी टीचर देते हैं। इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए सर (टीचर) के बेटे के नोट्स मांगे हैं। अब जैसे ही छात्रवृत्ति मिलने का पता चला, ऐसे लगा भगवान ने प्रार्थना सुन ली हो। अब कोई चिंता नहीं, सिर्फ पढ़ाई करनी है और लक्ष्य हासिल करना है। अब वह दोगुना उत्साह से पढ़ाई करेंगे।
आलोक बनना चाहते हैं शिक्षक
आगरा के बरहन क्षेत्र के गांव सराय जयराम के आलोक श्री भगवान उन्मेद सिंह हाईस्कूल, नगला बेल में दसवीं के छात्र हैं। उनका सपना शिक्षक बनने का है। पिता राम सेवक की परचून की दुकान है। आलोक की तीन छोटी बहने हैं। उनका कहना है कि हम सब भाई बहन मन लगाकर पढ़ाई करते हैं लेकिन चिंता रहती है कि फीस कैसे जमा होगी। अब छात्रवृत्ति ने बड़ा सहारा दिया है। नया हौसला मिला है। अब न किताब खरीदने के लिए पैसे का इंतजाम करना है और न फीस जमा करने के लिए। मंजिल तो पहले से तय है, अब रास्ता भी साफ हो गया है।
आलोक कहते हैं कि अमर उजाला छात्रवृत्ति परीक्षा में चयनित होना बहुत मुश्किल नहीं रहा। वो पहले से प्रतियोगी परीक्षाएं देते रहे हैं। अमर उजाला नियमित रूप से पढ़ते हैं, इससे दुनिया भर की जानकारी मिल जाती है। यही जानकारी प्रतियोगी परीक्षाओं में काम आती है।