00 वाराणसी के पायनियर सैनिक स्कूल में आत्मरक्षा प्रशिक्षण की नि:शुल्क ट्रेनिंग
वाराणसी के पायनियर सैनिक स्कूल में आत्मरक्षा प्रशिक्षण की नि:शुल्क ट्रेनिंग

अमर उजाला फाउंडेशन की मुहिम ‘पावर एंजेल्स’ के चौथे प्रशिक्षण शिविर का आयोजन वाराणसी के इमलिया स्थित पायनियर सैनिक स्कूल में बुधवार, 18 नवम्बर, 2015 से अगले 15 दिनों तक चलेगा। कमांडो अकादमी ऑफ मार्शल आर्ट्स की देखरेख में आयोजित इस शिविर में छात्राओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण की नि:शुल्क ट्रेनिंग दी जाएगी। 

शिविर के शुभारंभ के मौके पर कमांडो अकादमी ऑफ मार्शल आर्ट्स के संस्थापक सदस्य कुंवर साहनी छात्राओं से रू-ब-रू हुए और उन्हें बताया कि कराते केवल सेल्फ डिफेंस का माध्यम ही नहीं बल्कि जीवन में अनुशासन के लिए भी यह बेहद जरूरी है। उन्होंने छात्राओं से कहा कि आपको जुडो/कर्राटे की विधा सिखाने का यह मकसद नहीं कि आप अपनी इस कला का इस्तेमाल लड़ाई-झगड़े में करें बल्कि यह एक ऐसी कला है जो हमें दर्द सहना भी सिखाती है।
 
वहीं शिविर में मौजूद रचनाकार उपेंद्र विनायक सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि मौजूदा वक्त में हर लड़की को आत्मरक्षा की जरूरत है। न केवल खुद के बचाव के लिए बल्कि जब कोई हमला करे तो उसका डटकर मुकाबला करने और उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भी इस कला में पारंगत होना होगा। उन्होंने कहा कि सेल्फ डिफेंस के साथ-साथ छात्राओं को अपना सेल्फ कान्फिडेंस भी बढ़ाना होगा। इसके लिए जरूरी है कि शिविर में ट्रेनर जो भी बता रहे हैं अथवा सीखा रहे हैं, पूरे मनोयोग से उसका अभ्सास करें। समूचे कार्यक्रम का संचालन शिविर के कोआर्डिनेटर शिवशंकर प्रजापति ने किया। प्रारंभ में विद्यालय के एमडी शक्ति सिंह और प्रधानाचार्य श्रीमती बबीता सिंह ने आगतों का स्वागत किया।
 
अमर उजाला फाउंडेशन की मुहिम का हिस्सा बनकर बेहद खुशी हो रही है। विद्यालय में ग्रामीणांचल की तमाम छात्राएं हैं जिन्हें इस तरह के शिविरों में शामिल होने का मौका नहीं मिल पाता है। निश्चित तौर पर पावर एंजेल्स मुहिम का हिस्सा बनकर उनके जीवन में भी बदलाव आएगा। - शक्ति सिंह, प्रबंध निदेशक - पायनियर सैनिक स्कूल
 
आज समाज में जो कुछ भी लड़कियों के साथ घटित हो रहा है, वैसी स्थिति में इस तरह के शिविर तो अपरिहार्य हो गए हैं। अमर उजाला परिवार ने अपना सामाजिक दायित्व समझते हुए पावर एंजेल्स तैयार करने का जो बीड़ा उठाया है, हम उसके इस मुहिम में हमकदम बनकर खुशी हैं। - बबीता सिंह, प्रधानाचार्य, पायनियर सैनिक स्कूल
 
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