कानपुर जोन के नौ जिलों के 177 थानों का व्हाट्सएप ग्रुप जल्द ही बनाया जाएगा। इस पर थाना प्रभारी, दरोगा, सिपाही और होमगार्ड तक जुड़ेंगे। फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम सहित अन्य सोशल मीडिया का प्लेटफार्म भी बनाया जाएगा। प्रत्येक थाने का एक व्हाट्सएप ग्रुप होगा जिसमें दरोगा से लेकर सिपाही और होमगार्ड सभी जुड़े होंगे। जिसकी मॉनीटरिंग थानेदार करेंगे। इसके साथ ही थाने में तैनात सिपाही दस अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप बनाएंगे। प्रत्येक ग्रुप में इलाके के सौ-सौ लोगों को जोड़ा जाएगा। जिससे एक हजार लोग सीधे थाने के संपर्क में आ जाएंगे।
इस व्हाटसएप ग्रुप पर इलाके के नागरिक अपनी शिकायतें करने के साथ ही, सुझाव भी दे सकेंगे। आईजी आशुतोष पांडेय ने सिविल लाइंस स्थित रागेन्द्र स्वरूप ऑडिटोरियम में गुुरुवार को आयोजित वर्कशॉप में यह जानकारी दी। इस वर्कशाप में कानपुर जोन के नौ जिलों, कानपुर नगर, देहात, कन्नौज, फर्रुखाबाद, औरैया, इटावा, झांसी, ललितपुर आदि से 10 सबइंस्पेक्टर, 15 सिपाही, 30 स्कूलों से एक-एक स्टूडेंट, कंप्यूटर टीचर, आईआईटी के रिसर्च स्कॉलर, फेसबुक पर सक्रिय रहने वाले लोगों ने हिस्सा लिया। वर्कशाप की जरूरत बताते हुए आईजी ने कहा के समय के साथ-साथ अपराधी और अपराध दोनों बदल रहे हैं। इसलिए पुलिस नहीं बदलेगी तो अपराधों पर काबू पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होगा।
आईजी ने कहा कि व्हाट्सएप, आज इतना लोकप्रिय हो गया है कि इसे आम बोलचाल की भाषा में व्हाट्सएपवा तक कहने लगे हैं। पुलिस के ग्रुप पर जोक्स, बधाई सहित अन्य कुछ भी शेयर नहीं किया जाएगा। व्हाट्सएप ग्रुप पर सिर्फ शिकायतें ही पोस्ट की जाएंगी ताकि ग्रुप की विश्वसनीयता बनी रहे। मुख्य अतिथि रिटायर्ड आईएएस आरएन त्रिवेदी ने आईजी की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे पूरे मंडल और लाखों पीड़ितों को मदद मिलेगी। डीआईजी एन चौधरी ने सोशल मीडिया के पॉजिटिव रोल को अपनाने पर जोर दिया। ‘अमर उजाला’ कानपुर के स्थानीय संपादक विजय त्रिपाठी ने कहा कि व्हाट्सएप जैसे माध्यमों पर कड़ी निगरानी की जरूरत है। अभी हाल ही में दर्शनपुरवा का सांप्रदायिक मामला सबसे बड़ा उदाहरण है। जिसमें तमाम अफवाहें व्हाट्सएप के माध्यम से फैलाई गईं थीं।
हिंदुस्तान अखबार के स्थानीय संपादक मनोज पमार ने कहा कि सोशल साइट्स 20 साल पहले आ गई थीं। फेसबुक 11 साल और व्हाट्सएप को छह साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक हम इनका शुरुवाती दौर मान रहे हैं। हाल ही में दो बड़े नेताओं की मृत्यु की खबर सोशल मीडिया पर आ गई थी। दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार सुरेश अवस्थी ने कहा कि सोशल मीडिया से क्रांति जरूर आई है, लेकिन यह क्रांति इतनी भी बड़ी न हो जाए कि एक ही घर में माता-पिता, भाई-बहन सब व्हाट्सएप पर ही जुड़े हैं और उसी प्लेटफॉर्म पर गुड मॉर्निंग और गुड नाइट करते हैं। यह ध्यान रखना होगा कि इतने न जुड़ जाएं कि अपनों से बहुत दूर हो जाएं।
पुलिस के लिए सोशल मीडिया जरूरी
आईआईटी, कानपुर के रिसर्च स्कॉलर्स जे आदर्श ने अपने प्रजेंटेशन में बताया कि दुनिया का हर पांचवां आदमी फेसबुक पर है। इंस्टाग्राम पर चार सौ मिलियन और ट्विटर पर तीन सौ सात मिलियन लोग हैं। पुलिस के लिए सोशल मीडिया से जुड़ना बहुत जरूरी है। इससे पब्लिक एनाउंसमेंट, चेतावनी, सेफ्टी गाइड लाइन भी जारी की जा सकती है।
ऐसे बचें धोखे से
- असुरक्षित इंटरनेट का इस्तेमाल करने से आपके लैपटाप- मोबाइल का आईपी एड्रेस हैक हो सकता है। हमेशा सुरक्षित इंटरनेट का इस्तेमाल करें, कामन वाई - फाई का इस्तेमाल करने से बचें।
- हर थाने का एक व्हाट्सएप ग्रुप होगा जिसमें दरोगा, सिपाही, होमगार्ड सभी जुड़े होंगे
- थाने के सिपाही दस अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप बनाएंगे, प्रत्येक ग्रुप में इलाके के सौ-सौ लोग जुड़ेंगे
- कानपुर जोन के नौ जिलों के सभी थाने होंगे स्मार्ट पुलिसिंग का हिस्सा:आईजी
- पहचानें जन शिकायत अधिकारी
- थानों में फरियादियों की मदद के लिए बनाए गए पुलिस के जन शिकायत अधिकारी को एसएसपी ने वर्दी में लाल पट्टा लगाना अनिवार्य कर दिया है जिस पर जन शिकायत अधिकारी लिखा होगा। इससे पीड़ित उन्हें आसानी से पहचान कर मदद ले