नई दिल्ली स्थित तीन मूर्ति भवन में गुरुवार, 31 जनवरी, 2019 को अमर उजाला शब्द सम्मान- 2018 समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की शुरुआत मुख्य अतिथि भारत रत्न व पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दीप प्रज्वलित कर की। समारोह में मंच पर विशिष्ट अतिथियों में पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न प्रणब मुखर्जी, अमर उजाला के प्रबंध निदेशक श्री राजुल माहेश्वरी, समूह सलाहकार यशवंत व्यास, वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल और विश्वनाथ त्रिपाठी मौजूद रहे।
इस मौके पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मेरे लिए सम्मान का विषय है कि मैं यहां हूं। मैं सभी सम्मानित लेखकों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। ज्यूरी मेंबर को बधाई देता हूं कि उन्होंने इतने रचनाकारों में से श्रेष्ठ को चुना। यह अच्छी बात है कि प्रिंट मीडिया अपनी वाॅच डॉग भूमिका में आया है। अमर उजाला को इसके लिए बधाई। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अमर उजाला शब्द सम्मान भारतीय भाषाओं के साहित्य को सम्मानित करने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है। इसके लिए मैं पूरी टीम को बधाई देता हूं।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शब्द सम्मान अलंकरण समारोह में कहा कि ‘अमर उजाला’ ने लोक प्रहरी की भूमिका से आगे बढ़कर शब्द साधकों का सम्मान किया है। यह अनूठी व सराहनीय पहल है। इसने अपने मूल्यों, आचरण और समाज को योगदान से संस्कृतियों को ऐसे बदलते समय में साथ लाने का काम किया है, जब क्षेत्रीय भाषाएं पिछड़ती दिख रही हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लेखनी को दबाने के प्रयासों को रोकने की जरूरत पर बल देते हुये कहा है कि सभ्यता के वजूद को बचाने के लिये ‘लेखनी’ की पवित्रता को बरकरार रखना जरूरी है।
सभ्यताओं को बचाने के लिए शब्दों की पवित्रता जरूरी
‘हम साहित्यिक ‘शब्दों’ को ‘शब्द सम्मान’ प्रदान कर रहे हैं। इन शब्दों ने सदियों से लाखों लोगों के विचारों को अभिव्यक्त किया है। कई बार शक्तियों ने इसे दबाया भी है। सभ्यताओं के अस्तित्व के लिए जरूरी है कि शब्दों की पवित्रता बचाए रखी जाए। इन्हें दबाने के प्रयासों को रोका जाए।’
मुखर्जी ने ‘अमर उजाला फांउडेशन’ के पहले शब्द सम्मान समारोह को संबोधित करते हुये ‘शब्दों’ और ‘लेखनी’ के महत्व का जिक्र करते हुये कहा ‘‘वास्तव में सभ्यता के वजूद के लिये लेखनी और लेखन की पवित्रता को बरकरार रखना होगा।’’ उन्होंने साहित्य या अन्य क्षेत्रों में लेखनी को दबाने के प्रयासों को नाकाम बनाने की जरूरत पर बल देते हुये कहा, ‘‘मैं लिखे और बोले गये उन शब्दों की ताकत का उल्लेख करना चाहूंगा जो सदियों से सहस्त्रों विचारों के प्रकटीकरण का माध्यम बने हैं। इन शब्दों और लेखनी की पवित्रता को बरकरार रखना हमारा दायित्व है।’’
नामवर व कारनाड को सर्वोच्च सम्मान आकाशदीप
पूर्व राष्ट्रपति ने हिंदी में नामवर सिंह और कन्नड़ के नामी लेखक-रंगकर्मी गिरीश कारनाड को सर्वोच्च सम्मान आकाशदीप प्रदान किया। अस्वस्थता के चलते नामवर के पुत्र विजय सिंह और कारनाड के प्रतिनिध रघु अमय कारनाड ने अलंकरण ग्रहण किए। दोनों शब्दसाधकों को 5-5 लाख रुपये व प्रतीक चिन्ह दिए गए।
इस अवसर पर मुखर्जी ने हिंदी साहित्य में जीवन पर्यन्त उल्लेखनीय योगदान के लिये वरिष्ठ आलोचक नामवर सिंह को सर्वोच्च शब्द सम्मान ‘आकाशदीप’ से सम्मानित किया। इसके अलावा कन्नड़ लेखक गिरीश कर्नाड को हिंदी से इतर भारतीय भाषा श्रेणी में आकाशदीप सम्मान से नवाजा गया। दोनों वरिष्ठ साहित्यकार खराब स्वास्थ्य के कारण सम्मान समारोह में हिस्सा नहीं ले सके। मुखर्जी ने सिंह और कर्नाड के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
इनके अलावा श्रेष्ठ कृति सम्मान श्रेणी में कथाकार मनीष वैद्य के कहानी संग्रह ‘फुगाटी का जूता’, कवि आर चेतनक्रांति को कविता संग्रह ‘वीरता पर विचलन’ के लिये, कथाकार अनिल यादव के उपन्यास ‘सोनम गुप्ता बेवफा नहीं है’ के लिये, अनुवाद श्रेणी में गोरख थोरात को मराठी कविता संग्रह के हिंदी अनुवाद ‘देखणी’ के लिये और उदयीमान साहित्यकार के रूप में प्रवीण कुमार के पहले कथा संग्रह छबीला ‘रंगबाज का शहर’ के लिये शब्द सम्मान से नवाजा गया।
इस मौके पर शब्द सम्मान के निर्णायक मंडल के सदस्य विश्वनाथ त्रिपाठी, मंगलेश डबराल, सुधीश पचौरी और ज्ञानरंजन भी मौजूद थे। पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने प्रिंट मीडिया द्वारा ‘लोकतंत्र के सचेतक’ की अपनी मूल भूमिका से इतर साहित्य के प्रोत्साहन की दिशा में कारगर पहल करने की सराहना की।