00 कानपुर के डॉ. वीरेंद्र स्वरूप अवधपुरी एजुकेशन सेंटर में हुई पुलिस की पाठशाला
कानपुर के डॉ. वीरेंद्र स्वरूप अवधपुरी एजुकेशन सेंटर में आयोजित पुलिस की पाठशाला को संबोधित करते एसपी संजीव सुमन
  Start Date: 07 Feb 2019
  End Date: 07 Feb 2019
  Location: कानपुर

अमर उजाला फाउंडेशन के अभियान ‘अपराजिता : 100 मिलियन स्माइल्स’ के तहत बुधवार, 6 फरवरी, 2019 को कानपुर के डॉ. वीरेंद्र स्वरूप अवधपुरी एजुकेशन सेंटर में पुलिस की पाठशाला का आयोजन किया गया। पाठशाला को संबोधित करते हुए एसपी वेस्ट संजीव सुमन ने छात्र-छात्राओं को उन्हीं के अंदाज में समझाते हुए कहा कि आज के युवा खुद को कूल दिखाने के लिए लाउड म्यूजिक पर डांस करते हैं। तेज स्पीड में बाइक चलाते हैं, युवाओं का कूल दिखने वाला अंदाज भारी पड़ सकता है।  

उन्होंनेे कहा कि युवाओं का कूल दिखने वाला अंदाज भारी पड़ सकता है। सोशल मीडिया बच्चों के लिए अभिशाप और वरदान दोनों है। इसमें बच्चों को ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। फेसबुक पर जरूरत न हो तो फोटो अपलोड न करें। केवल फ्रेंड लिस्ट बढ़ाने के चक्कर में अंजान व्यक्ति को न तो फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजें और न ही स्वीकार करें। फोन में लिमिटेड ऐप रखें। बैंक डिटेल, ओटीपी मांगने वाली कॉल की सूचना पुलिस को दें। गलत होता देख चुप न बैठें। जिसको भी करीब समझते हैं, उससे साझा करें।

ये दिए टिप्स
-सोच पॉजिटिव रखें।
-पुलिस का सहयोग करें। पुलिस आप के लिए है। 
-काम करें, अपना फायदा नुकसान न जोड़ें।
-चकाचौंध में न फंसें, सिक्स पैक एब्स नहीं बल्कि  काम से पहचान होगी।    

इस मौके पर छात्र-छात्राओं ने एसपी से खुलकर कई सवाल भी पूछेl 

सवाल- साइबर क्राइम पीड़ित क्या खुद कार्रवाई कर सकते हैं? -कुमार कौटिल्य
जवाब- जहां क्राइम जुड़ जाता है, वहां पुलिस अपने आप जुड़ जाती है। साइबर क्राइम होने पर पुलिस से संपर्क करें।

सवाल- साइबर क्राइम इतना कॉमन क्यों हो गया? -राघव सिंह
जवाब- मोबाइल अब आसानी से सबकी पहुंच में हैं। गांव हो या शहर, सभी इंटरनेट का इस्तेमाल खूब करते हैं लेकिन कई लोग अभी डिजिटली शिक्षित नहीं है। इसका फायदा साइबर क्रिमिनल उठाते हैं। इसी वजह से साइबर क्राइम बढ़ा है। 

सवाल- लोग पुलिस को देखकर डरते क्यों हैं? -खुशी 
जवाब- पुलिस की जॉब बहुत व्यस्त होती है। न सोने का समय और न ही खाने का। लोग पुलिस का सहयोग नहीं करते। हेलमेट लगाना पुलिस बताए, गाड़ी धीरे चलाना पुलिस बताए। लोग खुद कुछ नहीं करते और सारा काम पुलिस से करने की अपेक्षा रखते हैं।

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