सात बेटों और दो बेटिओं के पिता लालमणि विश्वकर्मा ने अपनी बड़ी बेटी की शादी 18 साल की उम्र में ही की थी। लेकिन उसे भी अपनी दसवीं की पढ़ाई पूरी करने में जो दिक्कतें आईं, उससे सबक लेते हुए उन्होंने तय किया कि छोटी बेटी की शादी तभी करेंगे जब वह अपनी पढ़ाई पूरी करके खुद के पैरों पर खड़ी हो जायेगी।
लालमणि श्रावस्ती के सिरसिया ब्लॉक के दुधवनिया गांव के निवासी हैं और गांव की शिक्षा समिति के अध्यक्ष भी हैं। सोच काफी सुलझी हुई है उनकी। जिंदगी के अनुभवों ने उन्हें बाल विवाह के खिलाफ और जिद्दी बना दिया है। बाल विवाह से होने वाली पेचीदगियों को वे अच्छे से पहचानते हैं। उनकी छोटी बेटी दसवीं में पढ़ रही है और इस समय 17 साल की है। बेटे-बेटियों में कोई फर्क किये बिना लालमणि सबको अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए संकल्पित हैं।
स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी रश्मि ने लालमणि विश्वकर्मा से बात करके यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।
अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।