बचपन में ही मां के गुजर जाने के बाद पारुल को उसकी दादी ने पाला-पोसा। आज 15 साल की पारुल आगे पढ़ने की ख्वाहिशमंद है और दादी की जिद है कि उनके जिंदा रहते ही पारुल के हाथ पीले हो जाएं। श्रावस्ती के शाहपुर बरगदवा गांव की पारुल डॉक्टर बनकर गांव वालों की सेवा करना चाहती है। ख्वाहिशों की इस कश्मकश में पिता कैलाश नाथ वर्मा पारुल के साथ खड़े हैं।
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- स्मार्ट बेटियां | ख्वाहिशों की कश्मकश में पिता पारुल के साथ