00 अच्छे इंसान बनो, कामयाब खुद बन जाओगे: एडीजीपी डॉ. आरसी मिश्र
अच्छे इंसान बनो, कामयाब खुद बन जाओगे: एडीजीपी डॉ. आरसी मिश्र

अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से सोमवार, 23 मई, 2016 को अंबाला के डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल में पुलिस की पाठशाला का आयोजन किया गयाl पाठशाला में छात्र-छात्राओं से रू-ब-रू होते हुए हरियाणा पुलिस के एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (एडीजीपी) डॉ. आरसी मिश्र ने कहा कि अपने विषय और कक्षाओं की बाहर की दुनिया को पहचानो। तालाब के ठहरे पानी में पत्थर डालो तो तरंगें जरूर उठेंगी और ये तरंगें तालाब के आखिरी किनारे तक जाएंगी, इसलिए अपने भीतर के विचारों का बाहर आने दो। विचारों में तरंगें पैदा होने दो।

आज के हालात को जानो, इनका सामना करो, सिर्फ अंकों के पीछे भागना छोड़ दो, अंक सिर्फ एक सर्टिफिकेट और एक नौकरी दिलवाएंगे, लेकिन सामाजिक ज्ञान तुम्हे जिंदगी जीने का सलीका सिखाएगा, अच्छा इंसान बनाएगा। जिस दिन अच्छे इंसान बन गए तो कामयाब खुद-ब-खुद बन जाओगे और तुम्हारी चमक दुनिया देखेगी। कार्यक्रम में एडीजीपी ने छात्र, छात्राओं व शिक्षकों को जीवन शैली का एक और तरीका समझाने का प्रयास किया।

एडीजीपी ने कहा कि हम एक प्राणी है और एक जानवर भी प्राणी है। लेकिन जब हम खुद को एक सामाजिक प्राणी समझते व कहते हैं, तो ये समझा जाता है कि ये व्यक्ति सोचने की क्षमता रखता है और जानवर श्रेणी से अलग है। इस दौरान डीसीपी अर्बन अरुण सिंह, डीसीपी ग्रामीण मनीषा चौधरी, डीसीपी क्राइम विक्रम कपूर व एसीपी हितेश यादव भी मौजूद रहे। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता पुलिस डीएवी स्कूल के प्राचार्य डॉ. विकास कोहली ने की।

इस दौरान स्कूल के पांच मेधावी छात्रों को भी सम्मानित भी किया गया। अंत में प्राचार्य डॉ. विकास कोहली ने सभी का आभार जताया। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने एडीजीपी से खुलकर कई सवाल भी पूछेl

उपासना- सर, आईपीएस बनने के लिए हमें क्या करना होगा?

एडीजीपी- आप सामान्य तौर पर किसी विषय में ग्रैजुएट करें और फिर यूपीएससी की परीक्षा में पूरी तैयारी के साथ बैठें।

पारुल - सर , हम खुद को प्रैक्टिकल कैसे बनाएं?

जवाब - खुद को कक्षा और विषय से बाहर निकालें, सोशल कांटेक्ट में आएं, विश्लेषण क्षमता को बढ़ाएं , रट्टेबाजी छोड़ें , विषय को ज्ञान के रूप में आत्मसात करें। निधि - सर , हम व्यक्तित्व विकास को कैसे डेवलप करें?

जवाब - जब तक सामाजिक सक्रियता नहीं बढ़ेगी, तब तक व्यक्तित्व विकास नहीं बढ़ेगा, दूसरे की वैल्यू करना सीखें, सोशल बांडिंग स्ट्रांग करें, खुद को इंप्रूव करें, सोसायटी में जितना लिंक बढ़ेगा, व्यक्तित्व विकास उतना बढ़ेगा।

सिमरन पाल कौर - अधिकतर पेरेंट्स लड़कियों को शाम के बाद नहीं निकलने देते, क्या हम शहर में सुरक्षित नहीं?

जवाब- ऐसा नहीं है , ये धारणा और डर आज पैरेंट्स के दिमाग में हैं। आज पुलिस की कार्यप्रणाली में बहुत सुधार है। हमारें राइडर, पीसीआर की पहुंच हर जगह है, लेकिन ये हमें भी तय करना है कि हम जिस माहौल में निकलना चाहते हैं, क्या वो माहौल तो हमें असुरक्षा प्रदान तो नहीं कर रहा। दरअसल, आपराधिक प्रवृति के लोग सुनसान इलाकों में घात लगाकर अपने शिकार का इंतजार करते हैं, इसलिए हमें ऐसे माहौल से सजग रहना है। घबराने की जरूरत नहीं बेटियां शहर में पूरी तरह से सुरक्षित है।

वंशिका - सर , जब हम असफल हो जाते हैं , तो हम क्या करें?

जवाब - असफलता का मतलब यह नहीं कि जिंदगी खत्म हो गई। दुनिया में कौन ऐसा शख्स है , जो हमेशा ही जीता है। गिरना पाप नहीं है , लेकिन गिरकर न उठना सबसे बड़ा पाप है। इसलिए असफलता हमें बता देती है कि हम कहां चूके, बस अगली बार उस चूक को दूर कर सफलता को छू लो।

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