000 चार दिन के शिविर में 23 तेजाब पीड़ितों को मिली नई जिंदगी
चार दिन के शिविर में 23 तेजाब पीड़ितों को मिली नई जिंदगी

अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से तेजाब हमले के पीड़ितों के लिए आयोजित निशुल्क परीक्षण और सर्जरी शिविर के चौथे और अंतिम दिन शनिवार, 6 जनवरी, 2018 को चार मरीजों की प्लास्टिक सर्जरी की गई। चार दिन के शिविर में कुल 23 लोगों की सर्जरी की गई। एसआईएमएस अस्पताल वाडापलानी, चेन्नई के सहयोग से सेंट्रल हास्पिटल में निशुल्क परीक्षण और सर्जरी शिविर आयोजित किया। उत्तर भारत में अपनी तरह के इस पहले शिविर में एसआईएमएस अस्पताल वाडापलानी, चेन्नई से आए प्रसिद्ध प्लास्टिक सर्जन डॉ. के श्रीधर के नेतृत्व में टीम के डॉ. आर कृष्णमूर्ति, डॉ. के राघवेंद्रन, डॉ. श्यामनाथ कृष्णा पांडियन, डॉ. एस त्यागराजन, डॉ. जी विष्णु बाबू, सिस्टर सुनीता एवं सिस्टर आरोकिया मैरी ने रविवार को गुलनाज खान-जसपुर, अजीत सिंह-एटा, बालक राम-पीलीभीत और जहां आरा-हल्द्वानी की सर्जरी की। शिविर के पहले दिन बुधवार, 3 जनवरी को तेजाब पीड़ितों का पंजीकरण हुआ था। बृहस्पतिवार, 4 जनवरी को नौ और शुक्रवार, 5 जनवरी को दस मरीजों की सर्जरी हुई थी। 

इलाज मिला तो कम हुआ दर्द 
बात एक साल पुरानी है। मेरे भाई बालक राम की गांव के एक लड़के से लड़ाई हो गई थी। सुलह होने के बाद हम लोगों ने समझा कि बात खत्म हो गई। 27-28 जनवरी 2015 की रात बालक राम अपने घर पर सो रहे थे। उस लड़के ने आकर तेजाब फेंक दिया। आरोपी 15 दिन में ही जेल से बाहर आ गया था। उत्तर प्रदेश सरकार से तीन लाख रुपये मुआवजा भी मिला था। अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से आयोजित शिविर में भाई की सर्जरी हुई है। उम्मीद है कि उसके जीवन में खुशियां फिर लौट आएंगी। -लाला राम, पीलीभीत 

बेटी के ससुराल वाले ने बेटी और बेटे रिंकू के ऊपर तेजाब डाला था। उनके खिलाफ तेजाब हमले और दहेज का मामला दर्ज कराया था। कुछ दिन बाद जेल से बाहर आ गए। सरकार की ओर से एक भी पैसा मुआवजे के तौर पर नहीं मिला। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है इसलिए बेटे को लेकर यहां आए हैं। अमर उजाला फाउंडेशन ने शिविर आयोजित कर बहुत बड़ा सहारा दिया है। ऐसे शिविर भविष्य में भी होने चाहिए जिससे गरीबों को मदद मिल सके।- मीना रस्तोगी, रामपुर 

बहन परवीन से बुआ का लड़का निकाह करना चाहता था। मां ने उससे कहा कि परवीन की उम्र 21 वर्ष है जबकि वह 52 वर्ष का है। दोनों के बीच औलाद-वालिद जैसा रिश्ता है। बुआ के लड़के ने धमकी दी थी कि परवीन को कहीं का नहीं छोड़ेंगे। रात में बहन के ऊपर तेजाब फेंक दिया। सरकार की ओर से मुआवजा नहीं मिला। आरोपी जेल गए थे। अखबार में पढ़कर शिविर में आए हैं। अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से लगे शिविर में इलाज मिला साथ ही सारी सुविधाएं बेहतर है। जरूरतमंदों के लिए ऐसे शिविर दोबारा होने चाहिए। - शहनवाज, देवबंद सहारनपुर 

वर्ष 2003 में भांजों का किसी से झगड़ा हुआ था और मेरी बेटी जहांआरा ने उस लड़के के ऊपर थूक दिया था। बेटी उस समय छोटी थी। बेटी के निकाह होने से दस दिन पूर्व उस लड़के ने तेजाब फेंक दिया। उसके खिलाफ मुकदमा हुआ था और जेल गए थे। सरकार की ओर से अभी तक कोई मुआवजा नहीं दिया गया है। अमर उजाला ने पहले भी मदद की थी और बेटी को ब्यूटी पार्लर खुलवाया था। अमर उजाला फाउंडेशन ने शिविर आयोजित कर गरीबों की मदद की है। -सितारा खानम, हल्द्वानी

मेरी बेटी गुलनाज खां से जबरदस्ती निकाह करने के लिए एक लड़का दबाव बना रहा था। हम लोगों ने मना कर दिया था। एक दिन बेटी स्कूल से घर आ रही थी, रास्ते में लड़के ने उसके ऊपर तेजाब फेंक दिया। लड़के के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया सजा भी हुई मगर नवंबर 2014 से अब तक सरकार की ओर से मुआवजा नहीं मिला है। अमर उजाला फाउंडेशन ने एक नई पहल की है। यह गरीबों के लिए बेहतर है और जो इलाज का खर्च नहीं उठा सकते हैं उनको काफी मदद मिली है। ऐसे शिविर होने चाहिए।- शरफराज खां, जसपुर

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