अमर उजाला फाउंडेशन, बाल चित्र समिति के साथ मिलकर देश के करीब सौ से अधिक स्कूलों और पचास से अधिक गांवों में लाखों बच्चों को ‘बाल फिल्म महोत्सव’ के तहत बाल फिल्में दिखाने जा रहा है। इसका आगाज बाल दिवस से किया जा रहा है और यह सिलसिला अलगे महीनों में भी लगातार जारी रहेगा। फिलहाल इसकी शुरुआत वाराणसी, मेरठ, बागपत और मिर्जापुर जिले से की जा रही है। फिल्म महोत्सव में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्मों को दिखाया जाएगा।
सुदूर ग्रामीण अंचल के विद्यार्थियों को बेहतरीन फिल्में दिखाना ही इस फिल्म महोत्सव का विशेष उद्देश्य है। इसके लिए जिन बाल फिल्मों को शामिल किया गया है उनमें हेडा होडा, कभी पास कभी फेल, कारामती कोट, मल्ली, कुत्ते की कहानी और छू लेंगे आसमान जैसी बीस से अधिक फिल्में हैं। हर फिल्म अपनी अलग कहानी से बच्चों के मन में गहराई से पैठ बनाती है और साथ-साथ एक बेहतरीन सीख देती है। हर फिल्म अपने में अलग-अलग विषय लिए हुए हैं। किसी फिल्म में देशभक्ति की कथा है तो किसी में किरदार अपने चरित्र से बच्चों के मन में बसे भूत-प्रेतों के डर को भगाता है। किसी फिल्म में दादी अपने अनुभवों की घुट्टी पिलाती नजर आती है तो कोई फिल्म अपने नन्हें सिपाही के किरदार से सबका मन मोह लेता है। कहीं रश्तों का ताना-बाना है तो कहीं कारामाती कोट की कहानी है। बाल चित्र समिति, भारत की हर फिल्म हंसाते-हंसाते बच्चों को कुछ नया करने और बेहतर शिक्षा प्रदान करती हैं।