लेखन और जीवन के समग्र अवदान के लिए इस वर्ष अमर उजाला का सर्वोच्च शब्द सम्मान 'आकाशदीप'-हिंदी में प्रख्यात आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी और हिंदीतर भाषाओं में बांग्ला के विख्यात कवि शंख घोष को दिया जाएगा।
5 फरवरी 1932 को चांदपुर जिला त्रिपुरा में जन्मे शंख घोष को बांग्ला रचना संसार के जरिये भारतीय साहित्य-संस्कृति में अप्रतिम योगदान के लिए और 16 फरवरी 1931 को बिस्कोहर जिला सिद्धार्थनगर में जन्मे विश्वनाथ त्रिपाठी को हिंदी लेखन तथा आलोचना के क्षेत्र में अद्वितीय अवदान के लिए यह सम्मान अर्पित होगा।
आकाशदीप के अंतर्गत हिंदी के साथ इससे पहले कन्नड़ तथा मराठी को लिया जा चुका है। इससे पहले यह सम्मान हिंदी के लिए ज्ञानरंजन व डॉ. नामवर सिंह और हिंदीतर भाषाओं के लिए भालचंद्र नेमाडे (मराठी) व गिरीश कारनाड (कन्नड़) को दिया जा चुका है। इस अलंकरण में पांच-पांच लाख रुपये की राशि, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक के रूप में गंगा प्रतिमा सम्मिलित हैं।
श्रेष्ठ कृति सम्मान इन्हें मिला
वर्ष 2019 में प्रकाशित श्रेष्ठ हिंदी कृतियों के लिए 'छाप' श्रेणी में कविता वर्ग में उदय प्रकाश के संग्रह 'अम्बर में अबाबील' को श्रेष्ठ कृति के रूप में चुना गया है। कथेतर वर्ग में विष्णु नागर की कृति 'असहमति में उठा एक हाथ' तथा कथा वर्ग में ईशमधु तलवार के कहानी संग्रह ‘लाल बजरी की सड़क’ को छाप सम्मान दिया जाएगा। किसी भी रचनाकार की पहली किताब वाला 'थाप' ललित कुमार की कृति 'विटामिन जिंदगी' को। भारतीय भाषाओं में अनुवाद का भाषा-बंधु सम्मान, केशव रेड्डी के तेलुगु उपन्यास ‘भू-देवता’ के हिंदी अनुवाद के लिए जे.एल.रेड्डी को प्रदान किया जाएगा। इन सम्मानों में एक-एक लाख रुपये की राशि, प्रशस्ति पत्र और प्रतीक के रूप में गंगा प्रतिमा सम्मिलित हैं।
जिन्होंने कसौटी पर परखा
शब्द सम्मान 2020 के विजेताओं का चयन करने वाले निर्णायक मंडल में मैनेजर पांडेय, ज्ञानेंद्रपति, ममता कालिया, महेश दर्पण और देवशंकर नवीन शामिल थे।
सर्वोच्च सम्मान- आकाशदीप
आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी और कवि शंख घोष
श्रेष्ठ कृति: छाप (कविता)
अंबर में अबाबील - उदय प्रकाश
श्रेष्ठ कृति: छाप (कथेतर)
असहमति में उठा एक हाथ - विष्णु नागर
श्रेष्ठ कृति: छाप (कहानी)
लाल बजरी की सड़क - ईशमधु तलवार
थाप : पहली किताब
विटामिन जिंदगी - ललित कुमार
भाषाबंधु: श्रेष्ठ अनुवाद
भू-देवता: तेलुगु मूलकृति - केशव रेड्डी
मेरी जितनी क्षमता है, उसके अनुरूप विनयपूर्वक काम करते जाना ही मेरा भवितव्य है। - शंख घोष
हम संघर्ष के रास्ते कल्पित कर सकते हैं। सपने देख सकते हैं। एक रचनाकार का यही कर्तव्य है। - विश्वनाथ त्रिपाठी