00 सभी नागरिक बराबर, नहीं होना चाहिए भेदभाव
पुलिस की पाठशाला कार्यक्रम में आयुष्मान खुराना।
  Start Date: 26 Jun 2019
  End Date: 26 Jun 2019
  Location: लखनऊ

सभी नागरिक बराबर हैं, ऐसा केवल संविधान ही नहीं कहता, बल्कि एक प्रगतिशील समाज की भी यही सोच होनी चाहिए। हिंदी सिनेमा के जाने-माने अभिनेता आयुष्मान खुराना ने सोमवार को लखनऊ के युवाओं और किशोरों के सामने इस बात को उदाहरणों के साथ रखा। मौका था, अमर उजाला की ओर से आयोजित कार्यक्रम 'पुलिस की पाठशाला' का। कार्यक्रम का आयोजन गोमतीनगर स्थित लखनऊ पब्लिक स्कूल एंड कॉलेज के सभागार में किया गया था। जिसमें शहरवासियों के साथ ही लखनऊ के कई स्कूलों व संस्थान के विद्यार्थी शामिल हुए।

इस खास मौके पर पुलिस विभाग से एडीजी आदित्य मिश्रा भी शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने लोगों को पुलिस विभाग के काम करने के तरीके, यूपी के सामाजिक ढांचे में जाति व धर्म आधारित भेदभावों और संविधान के अनुच्छेद 15 के विषय में बताया। दरअसल, आयुष्मान खुराना की फिल्म 'आर्टिकल 15' शुक्रवार को रिलीज हो रही है। जिस उन्होंने अपने फैंस से बात की और उनके सवालों के जवाब दिए। इस फिल्म में आयुष्मान खुराना एक आईपीएस अफसर की भूमिका निभा रहे हैं।

कार्यक्रम में आयुष्मान खुराना को देखने और सुनने का चाव ऐसा था कि दोपहर दो बजे से ही युवा आयोजन स्थल पर जुटने लगे थे। इस दौरान कई अपने परिवारों के साथ पहुंचे। आयोजन शुरू होने तक करीब डेढ़ हजार लोगों से सभागार खचाखच भर चुका था और बड़ी संख्या में दर्शकों ने खड़े रहकर आयोजन का आनंद लिया।

जातिवादी समस्याओं को सुलझाने में पुलिस को आती है दिक्कत

कार्यक्रम में एडीजी, सीबीसीआईडी आदित्य मिश्रा ने कहा, पुलिस का संगठन उतनी तेजी से नहीं बदला है जितनी तेजी से बदलाव होना चाहिए था। बदलाव एकदम से नहीं होते। समय तो लगता ही है। आज भी कहीं न कहीं हम ब्रिटिश विरासत को लेकर चल रहे हैं। यह भी एक वजह है जो पुलिस की कार्यप्रणाली पूरी तरह से नहीं बदल पाई है।

हम लोग इससे उबर रहे हैं। लोगों का डर खत्म हो रहा है और वे पुलिस के पास आ रहे हैं। समय के साथ और बदलाव नजर आएगा। जातिवादी समस्याओं को सुलझाने में पुलिस को भी काफी दिक्कतें आती हैं। पुलिस भी ऐसी व्यवस्था में काम करती है जो समाज द्वारा बनाई गई है। वहीं राज्य की राजनीति भी कहीं न कहीं जातिवाद से प्रभावित रहती है। इसका असर भी बहुत पड़ता है।

इस तरह की फिल्में समाज और संगठन को आइना दिखाती हैं। समाज में क्या हो रहा है यह देखने के बाद उस पर आप थोड़ा विचार करते हैं। आप उनमें सुधार लाने के लिए ध्यान भी देते हैं। इस तरह की फिल्में बनेंगी तो हमें भी इन समस्याओं को लेकर सुधार लाने में मौका मिलेगा।

आयुष्मान ने खुद गाया राष्ट्रगान
पाठशाला के समापन से पहले हुए राष्ट्रगान में तारतम्यता बनाए रखने के लिए आयुष्मान ने खुद माइक पर इसे गाया और मौजूद दर्शकों ने उनका साथ दिया। कार्यक्रम खत्म होने पर युवाओं ने आयुष्मान के साथ सेल्फी ली। आयुष्मान भी पूरे मूड में थे। उन्होंने खुद कई युवाओं के फोन लेकर उनके साथ सेल्फी ली।

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