पूरे आत्मविश्वास के साथ अंकिता मिश्रा आज कहती है कि अच्छी पढ़ाई करके वह सेना में जाना चाहती हूँ। “मां की मदद और पिताजी की रजामंदी से मैं आज बी.एस.सी. में पढ़ रही हूँ। गांव में खराब माहौल का रोना रोकर मेरी भी शादी जल्दी ही की जाने वाली थी, लेकिन मैंने अपनी बात मजबूती से मां के सामने रखी और उन्हें इस बात के लिए राजी कर सकी कि वे पिताजी से बात करके मेरी बाल विवाह रुकवायें और मुझे पढ़ने दें।”
अंकिता की बातों से समझ में आता है कि उसके गांव कसियापुर का माहौल भी बाल विवाह को लेकर काफी दकियानूसी रहा है। घर के आर्थिक हालात भी अच्छे नहीं रहे हैं। पिता का झुकाव तो जल्दी शादी कर देने का था लेकिन अंकिता की मां ने जब कहा कि जैसे बेटे को पढ़ा रहे हैं हम, वैसे ही बेटी को भी पढ़ाना-बढ़ाना चाहिए तो अंकिता के पिता मान गये।
स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी राजकुमारी ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।
अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।