गांव वालों के तानों और घर वालों के शुरुआती विरोध के बावजूद सरिता ने अपना बाल विवाह रुकवा लिया और पढ़ाई रुकने न दी। बी.ए. अंतिम वर्ष में पढ़ रही सरिता ने विरोध न किया होता तो उसकी शादी 9वीं क्लास में ही हो गयी होती।
तीन बड़े भाइयों-भाभियों वाले खासे बड़े परिवार में सरिता ने जब पढ़ाई के लिए अपना बाल विवाह रुकवाने की जिद ठानी तो शुरू में परिवार के सभी लोग नाराज हो गये। श्रावस्ती जिले के डौराबोझी गांव की सरिता ने बिना घबराये अपनी बात कहना जारी रखा और पढ़-लिख कर अपने पैरों पर खड़े होने के बाद ही शादी करने की जिद दोहराती रही। आखिरकार घर वालों को उसकी बात के गंभीर मायने समझ में आये और यों उसके आगे बढ़ने के सफर पर लगने वाला पूर्णविराम हट गया। फिर भी, जब सरिता विद्यालय जाने के लिए घर से निकलती थी तो गली-गांव के लोगों के दबी जुबान के ताने तो पीठ पीछे सुनने को मिलते ही थे। उनकी परवाह किये बगैर वह बढ़ती गयी। प्राथमिक स्कूल में शिक्षिका बनने का सपना संजोये सरिता बी.ए. की पढ़ाई पूरी करने में जुटी है।
स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी रानू देवी ने सरिता से बात करके यह वीडियो कथा बनाई है।