बेटियों के तर्क आसनी से माता-पिता के गले नहीं उतरते। और अगर बात बाल विवाह रोकने की हो, तब को यह जिद और कड़ी हो जाती है। अपने माता-पिता की ऐसी की कठिन जिद से पार पाने के लिए 11वीं में पढ़ रही 15 साल की कोमल को बाल विवाह से होने वाले शारीरिक मानसिक नुकसानों की फेहरिस्त को अपने स्कूल की शिक्षा में मिली जानकारी के तौर पर घर में पेश करना पड़ा। यह तकनीक काम आई और कोमल का बाल विवाह रुक गया।
सिलाई सीखने के साथ ही 12 वीं में पढ़ रही कोमल ने जब बाल विवाह के खिलाफ बातों को केवल अपने तर्क के तौर पर मां के सामने रखा तो उन्होंने उसे खास तवज्जो नहीं दी। उन्होंने माना कि नासमझ लड़की बेसिरपैर की बातें कर रही है। अपनी जिद पर अड़ी कोमल ने जब कहा कि उसके स्कूल की टीचर ने भी बार बार इन बातों को बताया है, तब जाकर घर वाले कोमल की बातों पर विचार करने को तैयार हुए। फिर भी इस गुंजाइश को पक्के निर्णय में तब्दील करने के लिए कोमल को काफी मेहनत करनी पड़ी। कोमल के इस संकल्प की वीडियो कथा बनाई है स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी अनीता सिंह ने।