00 स्मार्ट बेटियां | संकोच छोड़ जिद ठानी, वरना 15 में ही ब्याह दी जाती सन्नू

चार बहनों और एक भाई वाले परिवार की बेटी सन्नू अपने संकोची स्वभाव के बावजूद मां से इस बात की जिद ठान सकी कि उसकी पढ़ाई रोककर 15 साल की ही उम्र में उसकी शादी न कर दी जाए। मां के लिए यह निर्णय आसान नहीं था लेकिन बेटी की मनुहार के आगे वह पिघल गयीं और परिवार में इस बात पर रजामंदी बन ही गयी कि फिलहाल सन्नू को पढ़ाई करने दिया जाए।

श्रावस्ती के गजोबरी गांव की सन्नू के पिता शिक्षामित्र के रूप में काम करते हैं और पांच बच्चों के भरण-पोषण के लिए कठिन जद्दोजहद करनी पड़ती है उनको। चाहते तो यही थे कि सन्नू की शादी के बोझ से छुट्टी पाते तो कुछ राहत मिलती। लेकिन बेटी की बातों ने उनके भी दिमाग को पलट दिया और बाल विवाह के खतरों को समझ अपना मन बदल दिया पिता रामफेरन ने। आज 17 साल की सन्नू 12वीं में पढ़ रही है और उसे भरोसा है कि पढ़ाई पूरी करके वह जिंदगी में कुछ बेहतर करके दिखाएगी।

स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी विनीता मौर्य ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।

अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा  अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।

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