00 स्मार्ट बेटियां | 14 में शादी, 16 में मां बन गई दर्द के दरिया से गुजरी जिंदगी

सुनीता की शादी 14 साल की उम्र में हो गयी थी। फिर 16 साल की उम्र में बेटी हो गयी। कच्ची उम्र में ही घर की जिम्मेदारियों, बच्चों का बोझ आ पड़ा जिसके लिए न तो सुनीता का शरीर तैयार था और न ही मन। नतीजा, कई तरह की बीमारियां और दिमागी उलझनें। इन सबसे जूझते हुए फिर अपने को मजबूत करने में जुट गयी सुनीता और बच्चों का जीवन संवारने का साफ रास्ता तय किया उसने।


संघर्षों का लंबा रास्ता तय करके आई सुनीता आज उम्र के 32वें मोड़ पर है। बलरामपुर के ठाकुरपुर गांव की सुनीता ने अपने पैर जमाने के लिए सिलाई सीखी और सिलाई की कमाई से अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा की नींव धरी। आर्थिक धरातल मिला तो जिंदगी में आत्मविश्वास और खुशहाली की कुछ महक आने लगी। किसी भी कीमत पर बाल विवाह नहीं करने और अच्छी शिक्षा की जरूरत के बारे में आज सुनीता खुल कर और अपने निजी अनुभव के आधार पर गांव-समाज को समझाती है।


स्मार्ट बेटियां अभियान से इंटरनेट साथी के रूप में भी जुड़ी हुई है सुनीता और अपने बारे में यह वीडियो कथा बनाकर खुद उसने ही अमर उजाला को भेजी है। अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा  अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले की 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची और प्रेरक कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।

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