00 बहन का हश्र देख बेटी का जीवन संवारा सर्वजीत ने | बड़े बदलाव की छोटी कहानियां

सर्वजीत ने बाल विवाह और अशिक्षा का कहर अपनी आंखों से अपनी बहन के जीवन पर टूटते देखा। बहन का हश्र देखकर वे इतना सहम गए कि उन्होंने अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाने का संकल्प कर लिया। सोनपुर के ग्राम सुखरापुर के निवासी सर्वजीत सिंह अपनी बहन की बात करते हुए संजीदा हो जाते हैं। वे कहते हैं कि बचपन के दिन अच्छी तरह याद हैं। स्कूल गांव से बहुत दूर था और गरीबी की मार थी। बहन को पढ़ा-लिखा नहीं पाए और कम उम्र में ही उसकी शादी कर दी। पति शराबी निकला और जल्दी ही बीमारी से मर गया। अब बहन अकेली रह गई थी। पढ़ी लिखी थी नहीं। चारों ओर अंधेरा छा गया। बड़ी मुश्किल से अब आशा वर्कर की नौकरी मिली।

सर्वजीत कहते हैं कि जब भी बहन को देखता था तो अपनी बेटी का चेहरा सामने आ जाता। डरता था कि कहीं उसका हश्र भी बहन जैसा न हो। इसलिए कभी बेटी की पढ़ाई के साथ समझौता नहीं किया। उसे बीएससी तक पढ़ाया। दो छोटे बेटे भी हैं जो हाई स्कूल में पढ़ रहे हैं। बेटी अब तरक्की की राह पर है और अब मन में कोई आशंका नहीं है।

स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी गुरप्रीत ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।

अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले में एक अभियान चला रहा है। इसके तहत 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।

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