साहित्य के सम्मान के लिए अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए देश के अग्रणी समाचार पत्र अमर उजाला ने दूसरे ‘शब्द सम्मान’ की घोषणा कर दी है। प्रविष्टियां भेजने की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 2019 है। इसके तहत सतत रचनात्मकता के लिए हिंदी और एक अन्य भारतीय भाषा में पांच-पांच लाख रुपये के दो सर्वोच्च अलंकरण 'आकाशदीप' दिए जाएंगे।
इसके अलावा तीन अन्य तरह के पुरस्कार भी दिए जाएंगे, जिसमें 'थाप' के तहत हिन्दी में किसी भी लेखक की पहली पुस्तक के लिए एक लाख रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी। ‘थाप’ के लिए इस बार ‘कविता’ की कृतियों पर विचार किया जाएगा।
'छाप' के तहत तीन विधाओं में तीन कृतियों (कविता, कथा और गैर कथा) के लिए तीन साहित्य सम्मान दिए जाएंगे, जिसमें प्रत्येक के लिए एक-एक लाख रुपये की सम्मान राशि होगी।
साथ ही 'भाषा बंधु' के तहत भारतीय भाषाओं में वर्ष की सर्वश्रेष्ठ अनूदित कृति के लिए एक लाख रुपये का सम्मान दिया जाएगा। सम्मान प्रक्रिया के तहत 'थाप’, ‘छाप’ और ‘भाषाबंधु' के लिए 2018 की कृतियों पर विचार किया जाएगा। किसी भी सम्मान के लिए कोई आयु सीमा नहीं है। कोई भी भारतीय नागरिक, लेखक, प्रकाशक निर्धारित तिथि तक नियमानुसार प्रस्ताव या अनुशंसाएं भेज सकता है।
पुरस्कार पाने के इच्छुक लेखकों को 31 मई 2018 तक नियमों व शर्तों सहित प्रस्ताव पत्र भेजने होंगे। अमर उजाला फाउंडेशन द्वारा गठित निर्णायक मंडल सम्मान देने के लिए कृतियों का चयन करेगा। इससे संबंधित पूरी जानकारी shabdsamman.amarujala.com पर उपलब्ध है।
आपको पता ही होगा कि अमर उजाला परिवार की ओर से प्रथम शब्द सम्मान अलंकरण के तहत ‘आकाशदीप’ सम्मान हिंदी भाषा के लिए मशहूर अलोचक नामवर सिंह को और गैर हिंदी भाषा के लिए मशहूर नाटककार-संस्कृतिकर्मी गिरीश कारनाड को दिया गया था। साथ ही थाप (पहली रचना) के तहत युवा उपन्यासकार प्रवीण कुमार, छाप (कहानी) के लिए युवा कथाकार मनीष वैद्य, छाप (कविता) के लिए आर. चेतनक्रांति, छाप (गैरकथा) के लिए अनिल यादव सम्मानित किए गए थे।
इसी प्रक्रिया में ‘भाषाबंधु’ सम्मान गोरख थोरात को दिया गया था । 2017 की कृतियों को परखने के लिए निर्णायक मंडल में थे, मशहूर कथाकार ज्ञानरंजन, मशहूर आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी, वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल, वरिष्ठ कवि प्रयाग शुक्ल और वरिष्ठ आलोचक सुधीश पचौरी।
प्रथम शब्द सम्मान अलंकरण समारोह तीन मूर्ति भवन में आयोजित किया गया था। साहित्यकारों को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सम्मानित करते हुए कहा था, 'अमर उजाला ने लोकतंत्र के प्रहरी की भूमिका से आगे बढ़कर शब्द साधकों का सम्मान करने की अनूठी और सराहनीय पहल की है। यह मूल्यों, आचरण और संस्कृतियों को ऐसे बदलते समय में साथ लाएगा, जब क्षेत्रीय भाषाएं पिछड़ती दिख रही हैं।'