00 स्मार्ट बेटियां | जिठानी के लड़के को बचाया बाल विवाह से

लक्ष्मी मजबूर थीं और बचपन में अपने खुद के ब्याह को रोक नहीं पाईं। लेकिन जब आंखें खुलीं तो पता चला कि बहुत कुछ खो गया। फिर वे महिला समाख्या संगठन से जुड़ीं और अब अपने गांव-देहात में सुनिश्चित कर रहीं हैं कि जिस हद तक हो सके, बाल विवाहों को रोका जाए।

बलरामपुर के तुलसीपुर ब्लॉक में निवोरिया गांव की लक्ष्मी बड़े चाव के साथ अपनी आपबीती बताती हैं। उन्होंने बताया कि उनकी जेठानी अपने केवल 14 साल के लड़के को शादी के बंधन में बांधने का मन बना चुकी थीं। लेकिन जब उन्हें पता चला तो उन्होंने जेठानी का ह्रदय परिवर्तन करने की ठान ली। वे कई बरस से महिला समाख्या के साथ मिलकर बाल विवाह के खिलाफ लोगों को समझा रही हैं। लिहाजा अपने ही घर में वह यह अत्याचार होते नहीं देख सकतीं थीं। उन्होंने एक के बाद एक कई बैठकें अपनी जेठानी के साथ कीं। उन्हें हर तरह से समझाया।

लक्ष्मी की मेहनत रंग लाई। उनकी जेठानी को बाल विवाह के खतरे समझ आ गए। उन्होंने शादी टाल दी। अब लक्ष्मी का भतीजा स्कूल में पढ़ रहा है।

स्मार्ट बेटियां अभियान से जुड़ी इंटरनेट साथी हेमलता ने यह वीडियो कथा बनाकर अमर उजाला को भेजी है।

अमर उजाला फाउंडेशन, यूनिसेफ, फ्रेंड, फिया फाउंडेशन और जे.एम.सी. के साझा अभियान स्मार्ट बेटियां के तहत श्रावस्ती और बलरामपुर जिले में एक अभियान चला रहा है। इसके तहत 150 किशोरियों-लड़कियों को अपने मोबाइल फोन से बाल विवाह के खिलाफ काम करने वालों की ऐसी ही सच्ची कहानियां बनाने का संक्षिप्त प्रशिक्षण दिया गया है। इन स्मार्ट बेटियों की भेजी कहानियों को ही हम यहां आपके सामने पेश कर रहे हैं।

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