00 देहरादून के यूनिवर्सल एकेडमी के बच्चों ने किया पुलिस कंट्रोल रूम का भ्रमण
देहरादून के यूनिवर्सल एकेडमी के बच्चों ने किया पुलिस कंट्रोल रूम का भ्रमण

अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से पुलिस की पाठशाला कार्यक्रम के तहत बृहस्पतिवार, 28 जुलाई, 2016 को देहरादून के यूनिवर्सल एकेडमी के 30 छात्र-छात्राओं को एसएसपी कार्यालय स्थित पुलिस कंट्रोल रूम का भ्रमण कराया गया। इस दौरान बच्चों से रूबरू हुए एसएसपी डॉ. सदानंद दाते। उन्होंने बच्चों को पुलिस की कार्यप्रणाली और यातायात नियमों के बारे में बताते हुए कहा कि सड़क पर चलते आपकी हर गतिविधि पर पुलिस की नजर रहती है। पुलिस की नजर से कोई अपराधी बच नहीं सकता। त्यौहार हो या फिर कोई बड़ा आयोजन, पुलिस की कोई छुट्टी नहीं होती, 100 नंबर पर तमाम फर्जी कॉल्स आती हैं, जिसका पूरा रिकॉर्ड हमारे पास आ जाता है। ऐसे कॉल पर मुकदमा दर्ज कराया जाता है।

एसएसपी ने बच्चों को ट्रैफिक कंट्रोल रूम, सिटी कंट्रोल रूम, लोकल इंटेलीजेंस, पुलिसिंग की जानकारी देने के साथ ही क्राइम से बचने की भी जानकरी दी और जागरूक किया कि कैसे एक जिम्मेदार नागरिक बनकर समाज की बेहतरी के लिए काम किया जा सकता हैl इस मौके पर एसएसपी डॉ. दाते ने बच्चों को क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के बारे में भी बताया। उन्होंने बच्चों को बताया कि किस तरह से पुलिस हर विपरीत परिस्थिति में भी लोगों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहती है।

इस मौके पर इंस्पेक्टर अनिल शर्मा, बीबीडी जुयाल, जनसंपर्क अधिकारी नरेंद्र गहलावत, अरुण सिंह के अलावा छात्र गरिमा सिंह, तरुण, निशा, सुमित शर्मा, मौ. जुनैद, आशुतोष, रिया डंगवाल, जैनब परवीन, विश्वजीत सिंह, आवेश खाली, दिशा शर्मा सहित भारी संख्या में छात्र मौजूद रहे। शिक्षक गौरव अग्रवाल के नेतृत्व में पहुंचे बच्चों ने एसएसपी से कई रोचक सवाल भी पूछे।

प्रश्न: क्या महिलाओं से जुड़े अपराधों की जांच महिला अधिकारी ही करती है?

उत्तर: ज्यादातर मामलों में कोशिश यही रहती है कि ऐसे मामलों की जांच महिला अधिकारी करे, लेकिन पुलिस में अभी महिलाओं की भारी कमी है। इस वजह से कई बार पुरुष अधिकारी भी जांच करते हैं।

प्रश्न: क्या थानों की जेल अलग से होती है, पुलिस कैसे मुजरिम को जेल भेजती है?

उत्तर: हर थाने में एक हवालात होती है। पुलिस अपराधी को केवल 24 घंटे तक हवालात में रख सकती है। इसके बाद कोर्ट में पेश किया जाता है। कोर्ट में माननीय न्यायाधीश उसे जेल भेजने के आदेश देते हैं।

प्रश्न: कंट्रोल रूम में फर्जी कॉल करने वालों पर क्या कार्रवाई होती है?

उत्तर: कंट्रोल रूम में तमाम फर्जी कॉल भी आती हैं। हर कॉल रिकॉर्ड होती है। हर कॉल करने वाले का नंबर पुलिस के पास आ जाता है। अगर कोई बार-बार परेशान करता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाती है। इस तरह के फर्जी कॉल नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों की वजह से कई बार असली जरूरतमंद तक पुलिस नहीं पहुंच पाती।

प्रश्न: कहीं कोई क्राइम होने पर पुलिस को कैसे पता चलता है?

उत्तर: सिटी कंट्रोल रूम में 100 नंबर पर कॉल आने पर उसकी पूरी जानकारी ऑनलाइन सिस्टम से संबंधित थाने और चीता पुलिस को भेज दी जाती है। चीता पुलिस की लोकेशन जीपीएस सिस्टम से ट्रेस करके जो भी नजदीकी होता है, उसे वहां भेज दिया जाता है।

प्रश्न: कहीं कोई घटना होने के बाद पुलिस कितनी देर में पहुंचती है?

उत्तर: सिस्टम के हिसाब से पुलिस काम करती है। कई बार घटनास्थल दूर होने पर थोड़ा समय तो लगता है लेकिन औसतन पुलिस 10 से 15 मिनट में पहुंच जाती है। शहर के बीच में घटना होने पर पुलिस जल्दी पहुंच जाती है।

प्रश्न: एलआईयू क्या होती है, यह कैसे काम करती है?

उत्तर: जिस तरह विदेश में खुफिया तंत्र के लिए रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), देश के अंदरूनी खुफिया तंत्र के तौर पर इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) काम करती है, वैसे ही लोकल स्तर पर लोकल इंटेलीजेंस यूनिट (एलआईयू) काम करती है। यह स्पेशल यूनिट बिना वर्दी के जनता के बीच में रहकर खुफिया सूचनाएं जुटाती है। जैसे-कहीं कोई संदिग्ध व्यक्ति, कोई आंदोलन, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम आदि।

प्रश्न: क्या पुलिस को संडे की छुट्टी मिलती है?

उत्तर: पुलिस का काम बेहद चुनौतीपूर्ण है। सर्दी, गर्मी, बरसात, ईद, दिवाली, होली या कोई भी राष्ट्रीय पर्व...पुलिस हमेशा जनता की सुरक्षा में मुस्तैद रहती है। पुलिस में संडे या मंडे जैसा कोई भी छुट्टी का दिन नहीं होता है।

प्रश्न: अगर हम कहीं किसी घटना की जानकारी पुलिस को दें तो पुलिस हमें ही तो नहीं पकड़ेगी?

उत्तर: ऐसा बिल्कुल नहीं है। एक सच्चे नागरिक के तौर पर पुलिस हमेशा आपकी साथी है। पुलिस केवल उन्हें पकड़ती है जो गलत काम, चोरी करते हैं, मारपीट करते हैं। पुलिस आपकी मित्र है।

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