00 बेटी नहीं होती तो मैं आज यहां नहीं होती’
बेटी नहीं होती तो मैं आज यहां नहीं होती’

आज मैं गर्व के साथ कह सकती हूं कि मैं अगर यहां हूं तो केवल बेटी के कारण ही हूं। मुझे अपनी बेटी पर नाज है। इसकी तो तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। बेटियों को लेकर अब समाज को अपना नजरिया बदलना होगा। यह कहते हुए शबाना परवीन का चेहरा खिल उठता है। उत्तराखंड के देहरादून की रहने वाली शबाना की बेटी शरमीन परवीन को 10वीं कक्षा में अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति मिली है और वह इस सम्मान समारोह में हिस्सा लेने मंगलवार, 9 फरवरी, 2016 को नई दिल्ली पहुंची। इसी तरह से समारोह में हिस्सा लेने के लिए सात प्रदेशों के चुने गए 38 छात्र-छात्राएं अपने-अपने अभिभावकों के साथ पहुंचे।

अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से संचालित अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति- 2015 के चयनित विद्यार्थियों को बुधवार, 10 फरवरी, 2016 को नई दिल्ली में सम्मानित किया जाएगाl गौरतलब हो कि इस बार छात्रवृत्ति परीक्षा-2015 के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन मांगे गए थे, जिसमें करीब डेढ़ लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। इसके बाद 51 शहरों बनाए गए परीक्षा केंद्रों में करीब 68 हजार विद्यार्थी बैठे। उनमें से पहले राउंड में 200 छात्र-छात्राओं को चुना गया। इसके बाद 38 विद्यार्थियों का चयन किया गया।

दिल्ली दर्शन करेंगे अतिथि:
अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति-2015 के लिए चुने गए प्रतिभाशाली 38 छात्र-छात्राओं का सम्मान समारोह बुधवार शाम को दिल्ली में होगा। सम्मान समारोह से पहले सभी अतिथि दिल्ली दर्शन करेंगे। पहला पड़ाव इंडिया गेट होगा।
 
जाना कैसे छपता है अखबार:
छात्रवृत्ति सम्मान समारोह में हिस्सा लेने आए विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों का अमर उजाला कार्यालय में भव्य स्वागत किया गया। इसके बाद उन्हें अखबार बनने की प्रक्रिया से रू-ब-रू करवाया गया। इसके बाद प्रिंटिंग विभाग ले जाकर अखबार कैसे छपता है इसकी बारीकी से जानकारी दी गई। अमर उजाला समूह के प्रबंधक निदेशक और अमर उजाला फाउंडेशन के अध्यक्ष राजुल माहेश्वरी के साथ भी इन विद्यार्थियों की अनौपचारिक चर्चा हुई।
 
छात्रों-अभिभावकों ने कहा:
भले ही मैं इस रंगीन दुनिया को देख नहीं सकता लेकिन अमर उजाला फाउंडेशन आंखे बन कर आया है मेरी जिंदगी में। कौन पूछता है हम जैसे दृष्टिहीनों को, कौन गले लगाता है हम जैसे हाशिए में रह रहे लोगों को लेकिन फाउंडेशन ने हमें जाना, हमें माना और हमारा सम्मान किया। शुक्रिया...शुक्रिया...शुक्रिया...। -दिलीप कुमार, दृष्टिहीन छात्र, गोरखपुर
 
पहली बार दिल्ली आए हैं। बहुत ही अच्छा लग रहा है। अमर उजाला ने ऐसा स्वागत किया जो किसी सपने से कम नहीं है। छात्रवृत्ति ने जीवन का रंग ही बदल दिया। शुक्रिया अमर उजाला। -रचित तिवारी, शाहजहांपुर
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