आगरा। सही और गलत के विश्लेषण की क्षमता। सही पर अमल का सत्साहस, सकारात्मक सोच और आत्मबोध। अपने हर कदम से खुद, परिवार और दूसरों पर पड़ने वाले असर की समझ। अपनी प्रतिभा की पहचान और उसका विकास। ये वे गुण हैं जो किसी को भी ‘बड़ा’ और उत्तरदायी बनाते हैं। ऐसे किशोर-युवा कोई भी आकाश छू सकते हैं। कोई भी मंजिल पा सकते हैं।
आरबीएस इंटर कालेज में गुरुवार को छात्र-छात्राओं को यह सीख डीआईजी लक्ष्मी सिंह ने दी। वह यहां अमर उजाला फाउंडेशन और जिला पुलिस के संयुक्त अभियान के तहत लगी ‘पुलिस की पाठशाला’ में मुख्य वक्ता थीं। गंभीर सूत्र को भी सरलता से समझाने वाली शिक्षक का उनका रूप छात्र-छात्राओं को खूब भाया। वे उनके साथ हंसे, ठहाके लगाए और उत्सुक श्रोता भी बने। डीआईजी ने कहा, खुद और दूसरों के प्रति उत्तरदायित्व का बोध जिसमें भी जाग उठेगा वह अपराध कर ही नहीं सकता।
वह तो ऐसे काम करने से भी बचेगा जो अपराध न होते हुए भी दूसरों के लिए परेशानी खड़ी करते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि, अपराधी हो या सफलतम व्यक्ति उसका निर्माण पांच साल की उम्र के बाद से होना शुरू हो जाता है। कैशोर्य तक आते-आते वे इसका अभ्यास करने लगते हैं। जो भी बड़े लोग हुए, वे आकाश से नहीं टपके बल्कि ‘बड़ा बनने’ की साधना यहीं की। किसी स्थिति में सही कदम को पहचानना ही नहीं बल्कि उस पर अमल का सत्साहस ही आत्मविश्वास और ‘बड़ा’ होने के लक्षण हैं, भले उम्र चाहे जो हो। दूसरों को आगे बढ़ता देख हीनभावना से ग्रस्त होने वाला ही अपराधी और अपनी प्रतिभा को पहचान उसका विकास करने वाला श्रेष्ठ नागरिक बनता है। यही परिवार और समाज के लिए उपयोगी भी होते हैं। डीआईजी ने कहा कि सोच सकारात्मक रही तो आपकी प्रतिभा को पहचानने और तराशने वाले जौहरी भी खूब मिलेंगे।
इससे पूर्व प्रधानाचार्य डा. यतेंद्र पाल सिंह ने कहा कि अच्छा नागरिक बनकर छात्र अपनी और परिवार ही नहीं, देश की उन्नति में भी योगदान करते हैं। इसके लिए जरूरी है कि गलत आदतों को अभी से पहचानें और उसे बदल डालें। उन्होंने अमर उजाला फाउंडेशन की पहल की भी सराहना की। शिक्षक अमित यादव ने तकनीक के गलत इस्तेमाल से होने वाले अपराधों और इससे होने वाली समय की बर्बादी का जिक्र किया। आगमन पर डीआईजी लक्ष्मी सिंह का छात्राओं-शिक्षिकाओं ने पुष्प भेंट कर स्वागत किया। कॉलेज के टीचर एसआर सिंघल, रामकुमार सिंह, डा. भोजराज शर्मा, राम अवध भदौरिया, विवेक वीर सिंह, डा. सुधा सिंह, डा. अंजुल चौहान, रेयंका सिंह, मंजुला बंसल आदि भी ‘पाठशाला’ में मौजूद रहीं।
डीआईजी लक्ष्मी सिंह ने छात्रों से सवाल भी किए। उनके जवाब के साथ अपनी बात आगे बढ़ाई। सबसे छोटे दिख रहे छठवीं के साहिल उनका सवाल था कि, उसे ‘पावर वाली’ कोई चीज मिल जाए तो वह क्या करेगा। साहिल ने अपने जबाब से दिल जीत लिया। कहा कि वह उसके जरिए दूसरों की मदद करेगा। जैसे, किसी के घर में आग लगेगी तो पानी डालेगा और पुलिस को सूचना देगा। इस पर डीआईजी ने उसे ‘बुके’ देकर सम्मानित किया। उन्होंने ऐसे ही एक छात्रा को भी बुके दिया।
डीआईजी ने बच्चों को दिए मंत्र:
• सकारात्मक सोच पैदा करें।
• तकनीक का सही इस्तेमाल।
• गलत-सही का विश्लेषण।
• अपनी प्रतिभा की पहचान।
- निर्णय का दूसरों पर असर।
डीआईजी मैम ने आत्मविश्वास को सफलता का मूलमंत्र बताया। उनकी सीख पर अमल करूंगा। - धैर्य प्रताप, कक्षा-11
हमने अनजाने में होने वाले अपराधों और उनके दुष्परिणाम को जाना। यह उपयोगी क्लास थी। - जितेंद्र सिंह, कक्षा-11
मैंने जाना, हर कदम सोच-विचारकर उठाना चाहिए। गलत कदम मुसीबत में डाल सकता है। -रूप किशोर, कक्षा-12
यदि सोच सकारात्मक हो तो अनजाने में भी हमसे अपराध नहीं होगा। भविष्य भी उज्ज्वल रहेगा। - ऋषभ, कक्षा-नौ
मोबाइल फोन का सही इस्तेमाल तो लाभकारी है, वहीं जरा सी चूक परेशानी में डाल सकती है। - निधि गुप्ता, कक्षा -11