00 देहरादून में बहुउद्देशीय दिव्यांग सहायता शिविर एवं निःशुल्क स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर का आयोजन।
देहरादून में बहुउद्देशीय दिव्यांग सहायता शिविर एवं निःशुल्क स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर का आयोजन।
देहरादून। अमर उजाला फाउंडेशन की पहल पर आयोजित सबसे बड़ा दिव्यांग सहायता और स्वास्थ्य जांच शिविर अपनी उम्मीदों पर पूरी तरह से खरा उतरा। इसकी गवाही मायूस चेहरों की मुस्कान दे रही थी। शिविर में एलिम्को की टीम ने दिव्यांगों के लिए जरूरी कृत्रिम अंगों की नाप-जोख की। साथ जरूरी उपकरणों की सूची भी तैयार की। श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने दिव्यांगों समेत शिविर में मौजूद अन्य लोगों के स्वास्थ्य की जांच कर फ्री दवाएं बांटी गईं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दिव्यांगों की जांच कर विकलांगता प्रमाण पत्र जारी किए तो समाज कल्याण विभाग की टीम ने दिव्यांगों से संबंधित योजनाओं की जानकारी दी। दिव्यांगों को कृत्रिम अंगों और अन्य जरूरी उपकरणों का वितरण आगामी कैंप में किया जाएगा।
 
रविवार को एसजीआरआर पीजी कॉलेज परिसर में दिव्यांग सहायता एवं निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का शुभारंभ सचिव स्वास्थ्य डा. भूपिंदर कौर औलख ने किया। उन्होंने शिविर का निरीक्षण कर दिव्यांगों के कृत्रिम अंगों की नाप-जोख कर रही एलिम्को की टीम से जरूरी जानकारियां जुटाईं। उन्होंने शिविर आयोजन के लिए अमर उजाला फाउंडेशन, श्री महंत इंदिरेश अस्पताल और एलिम्को की खुले मन से तारीफ की। डा. औलख ने कहा कि अमर उजाला के इस प्रयास से दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा में लाने में बहुत मदद मिलेगी। कृत्रिम अंग और अन्य सहायक उपकरणों की सहायता से उनका जीवन आसान हो सकेगा। साथ ही उन्हें वह सम्मान भी हासिल होगा, जिसके वह हकदार हैं।
 
शिविर में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से 200 से अधिक दिव्यांग पहुंचे। रजिस्ट्रेशन के बाद एलिम्को की टीम ने दिव्यांगों की जांच की। उनकी जरूरतों को समझते हुए कृत्रिम अंगों के लिए नाप-जोख, ईएनटी और आई टेस्ट किया गया। साथ ही अन्य दिव्यांगों की जरूरत के अनुसार ट्राई साइकिल, व्हील चेयर, बैसाखी, कान की मशीन समेत अन्य उपकरणों की सूची भी तैयार की गई। दूर-दराज क्षेत्रों से पहुंचे दिव्यांगों ने शिविर आयोजन के लिए अमर उजाला के प्रयासों की जमकर सराहना की। परेशानी, हताशा और निराशा लेकर शिविर में पहुंचे दिव्यांगों व उनके परिजनों के चेहरे लौटते समय खुशी और संतुष्टि के भाव से परिपूर्ण दिखे।
 
शिविर में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच कर विकलांगता प्रमाण पत्र जारी किए। सीएमओ डॉ. सुशील अग्रवाल, एसीएमओ डॉ. भागीरथी जंगपांगी, ऑर्थोपेडिक्स सर्जन डॉ. केआर सौन, ईएनटी सर्जन डॉ. वीएस सयाना, आई सर्जन डॉ. मेहा पांगती ने दिव्यांगों की जरूरत को समझते हुए मौके पर ही विकलांगता प्रमाण पत्र बनाए। विभाग के संजीव ठाकुर, नेलशन अरोडा, पवन, अनूप घाघट, रिंकू और दीपक ने भी शिविर के सफल आयोजन में सहयोग दिया।
 
ब्रह्मपुरी पटेल नगर क्षेत्र के मनीष शर्मा ने बताया कि छह अगस्त 2000 को उन्होंने साहस का परिचय दिखाकर चार बच्चे जो पतंग छुड़ाने के कारण वहां से गुजर रही एचटी लाइन से झुलसने से बचाया जिसमें उनके दोनों हाथ आगे से कट गए थे। तत्कालीन सीएम नित्यानंद स्वामी ने उन्हें प्रशस्ति पत्र भी दिया था पर वह अब भी बेरोजगार, असहाय हैं। उन्होंने कैंप में अपने हाथों का नाप दिया और अब अमर उजाला की सहायता से वह दोनों कृत्रिम हाथ लगाएंगे।
 
शिविर में सहायता लेने के लिए यूं तो बड़ी संख्या में दिव्यांग पहुंचे लेकिन एक दिव्यांग ऐसा भी था, जो सिर्फ मदद के इरादे से ही पहुंचा। जीआईसी कोटद्वार के दिव्यांग शिक्षक संतोष नेगी शिविर के लिए रविवार को दून पहुंचे। पूरे शिविर के दौरान वह दिव्यांगों के रजिस्ट्रेशन से लेकर उनकी जांच इत्यादि में सहयोग करते रहे। दिव्यांगों को व्हील चेयर में बैठाकर विशेषज्ञों के पास ले जाने, उनके कृत्रिम अंगों की नापजोख और गाड़ी में बैठाने, उतराने में भी मदद की। उनके इस सेवा भाव से शिविर में पहुंचे दिव्यांग भी खासे प्रभावित दिखे। संतोष ने बताया कि वह दिव्यांगों की सहायता के लिए स्कूल स्तर पर जागरूकता शिविर आयोजित करने जा रहे हैं।
 
समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने शिविर में दिव्यांगों के लिए संचालित की जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। सहायक समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि दिव्यांगों को सरकार नौकरियों समेत अन्य कई योजनाओं में छूट भी देती है। इसके अलावा उनके कल्याण के लिए भी तमाम स्कीम चल रही है। विकलांगता प्रमाण पत्र धारकों को मुफ्त बस का सफर, अनुदान समेत अन्य कई लाभ दिए जाते हैं।
 
कई सालों से दिव्यांगों के खोए हुए आत्मविश्वास को आसमान की चोटी पर पहुंचाने का काम करने वाली भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) के स्टाफ ने रविवार को दून में भी अपनी सेवाएं दीं। बड़ी विनम्रता, अनुशासित तरीके से उन्होंने शिविर का समापन किया। टीम स्टाफ ने दिव्यांग सहायता शिविर में अपनी विशेष सेवाएं दी। उन्होंने शिविर में आए विकलांगों से विनम्रतापूर्वक उनकी समस्याओं का समाधान किया और कई विकलांगों के कृत्रिम अंगों के नाप भी लिए। टीम एलिम्को में ऑफिसर पीएसओ रविशंकर, आशीष शुक्ला, ऑडियोलॉजिस्ट, रमेश कुमार, विनोद कुमार, रोहित, प्रवीन मौजूद थे।
झोलाछाप डॉक्टर के गलत इंजेक्‍शन लगाने से पोलियो हो गया है। एमए, बीएड हूं पर सरकार ने उन्हें कोई नौकरी नहीं दे पाई। कुछ उम्मीद जगी है। -आलोक सिंह बिष्ट, यमकेश्वर
जन्म से एक पैर से विकलांग हूं। इलाज में पांच लाख रुपये लगाए लेकिन सरकार से इमदाद नहीं मिली। इस शिविर से काफी उम्मीद जगी है। -मो. शमी उल्लाह, माजरा
कई बार व्हीलचेयर के लिए आवेदन किया, लेकिन अभी तक नहीं मिली। अब अमर उजाला ने कैंप लगाकर एक उम्मीद जगाई है। -असलम, बंजारावाला
कैंप के लिए शुक्रिया। समाज के सभी लोग इसी तरह प्रयास करे, तो दिव्यांग लोग अपने आप को बेसहारा नही समझेंगे। -देवेंद्र सिंह, त्यूनी रोड
 
अमर उजाला फाउंडेशन की पहल पर आयोजित सबसे बड़े दिव्यांग सहायता और स्वास्थ्य जांच शिविर में करीब 500 लोगों ने अपने स्वास्थ्य की जांच कराई। श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने मरीजों के स्वास्थ्य की जांच कर उपयोगी परामर्श और दवा दी। मरीजों ने शिविर आयोजन के लिए अमर उजाला फाउंडेशन और श्री महंत इंदिरेश अस्पताल प्रबंधन का आभार जताया। रविवार को सचिव स्वास्थ्य डा. भूपिंदर कौर औलख ने शिविर का शुभारंभ करने के बाद श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के डॉक्टरों से भी बातचीत की।
 
मेडिसिन विभाग के डा. राजेश पंडिता, नेत्र रोग विभाग की डा. हर्षिका चावला, मनोरोग विभाग की डा. मंदाकिनी, त्वचा रोग विभाग की डा. शिवांगी, ईएनटी विभाग की डा. सोनम, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डा. मोनिका चौहान और दंत रोग विभाग की डा. दिशा व कलम सिंह ने मरीजों की जांच की। करीब 500 मरीजों ने शिविर के लिए पंजीकरण कराया। बड़ी संख्या में दिव्यांगों ने भी अपने स्वास्थ्य की निशुल्क जांच कर दवाईयां प्राप्त की। अस्पताल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने बताया कि शिविर में दंत रोग, ईएनटी और आंखों की समस्या से संबंधित सबसे ज्यादा मरीज पहुंचे। इसके अलावा मनोरोग, मेडिसिन, स्त्री एवं प्रसूति रोग और त्वचा रोग के मरीजों ने भी अपने स्वास्थ्य की जांच कराई।
 
एक हादसे में दोनों हाथ कुदरत ने छीन दिए, आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, जो कृत्रिम अंग लगवाएं जा सके। शिविर से उम्मीद जगी है। -अब्दुल रहमान, डाकपत्थर
श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने की स्वास्‍थ्य जांच
मरीजों की निशुल्क स्वास्थ्य जांच कर बांटी आवश्यक दवाएं
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