00 अमर उजाला फाउंडेशन और बरेली पुलिस के साझा प्रयास से बरेली में पुलिस की पाठशाला
बरेली कॉलेज में हुई पुलिस की पाठशाला।
बरेली। डीआईजी आरकेएस राठौर ने मंगलवार को बरेली कॉलेज के सभागार में जब अपने अनुभवों से अच्छी पुलिसिंग के उदाहरण सुनाए तो तालियां बजाते छात्र और शिक्षक-शिक्षिकाएं मंत्रमुग्ध से करीब पौन घंटे तक उन्हें सुनते रहे। अमर उजाला फाउंडेशन और बरेली पुलिस के साझा प्रयास से बरेली में पुलिस की पाठशाला का यह दूसरा सत्र था। समाज में आ रही विकृतियों और इसे दुरुस्त करने में पुलिस की भूमिका पर छात्रों ने कुछ सवाल भी किए और डीआईजी ने अपने उत्तरों से सबको संतुष्ट किया।
 
डीआईजी ने कहा कि हर संस्था और समाज में अच्छे-बुरे लोग होते हैं। अगर कोई वर्दी में है तो वह अलग दिखता है। उस पर सबकी नजर होती है। पुलिस समाज में अभिभावक की भूमिका में है। पुलिस वाला गलत काम करता है तो उसे दूसरे से भी सख्त सजा मिलनी चाहिए। इसीलिए पुलिस विभाग में सजा के सख्त नियम बनाए हैं। उन्होंने क हा कि अंग्रेजों ने भारत में और अपने देश में पुलिस के लिए अलग कायदे बनाए। उनकी मंशा पुलिस की खूंखार छवि बना कर रखना था ताकि वे राज कर सकें। पुलिस सुधारों से कई चीजें बदली हैं। आज पुलिस समाज की संरक्षक है। पुलिस में ईमानदारी और मन से काम करने पर आनंद आता है। यह ऐसा जॉब है जिसमें रहकर पीड़ितों के चेहरे पर एकदम से मुस्कान लाई जा सकती है। यह ईश्वर का काम करने जैसा है। इसके बाद उन्होंने ऐसे कई उदाहरण दिए जब जनता की मदद कर उन्हें आत्मिक आनंद मिला। दुआएं भी मिलीं।
 
उन्होंने कहा कि यह सच है कि कभी उन्हें भी पुलिस सेडर लगता था। शिक्षक की नौकरी छोड़ने के बाद पुलिस में आए तो यहां का वर्क लोड देखकर अफसोस भी हुुआ, लेकिन लोगों की मदद करने पर उनके चेहरे पर मुस्कान देखकर आनंद आने लगा। उन्होंने कहा कि जो लोग पुलिस की सूची में अपराधी हैं उन पर तो नजर रखना आसान है लेकिन जिस तरह छोटी-छोटी वजहों से अपराध वृत्ति बढ़ रही है वह चिंता की बात है। उन्होंने दिल्ली के एक नामी कालेज में पढ़ रहे बड़े घरों के बच्चों का उदाहरण दिया जिन्हें एक डॉक्टर के घर में लूट के आरोप में उन्होंने पकड़ा था। सिर्फ गोवा घूमने का खर्च निकालने के लिए वह इतना बड़ा अपराध कर बैठे कि जिंदगी भर पछताने की नौबत आ गई। जीआईजी ने महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष बल देते हुए कहा कि शहर के स्कूलों के आसपास शक्ति मोबाइल पर चलने वाली महिला सिपाही राउंड लेती रहती हैं। किसी भी छात्रा को कोई दिक्कत हो तो वह सीधे उनसे अपनी बात कह सकती है। 1090 वूमेन पावर लाइन पर फोन करके भी महिलाएं अपनी किसी भी तरह की शिकायत को दर्ज करा सकती हैं। उन्होंने कहा कि अपनों के बीच भी महिलाओं को अलर्ट रहने की जरूरत है।
प्राचार्य डा. सोमेश यादव ने कहा कि जिंदगी की भागदौड़ ने लोगों के जीवन को अव्यवस्थित कर दिया है। हम अपने बच्चों को ही ठीक से संस्कार नहीं दे पा रहे हैं। पुलिस में भी हमारे ही परिवार के लोग जाते हैं, इसलिए उनसे संस्कारवान होने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। डॉ. एसी त्रिपाठी ने कहा कि अपने भीतर के मनुष्य का विकास करके पुलिस का सहयोग करना होगा। इससे पूर्व अमर उजाला के संपादक दिनेश जुयाल ने कार्यक्रम का मकसद समझाया। चीफ प्रॉक्टर डॉ. अजय शर्मा ने आभार व्यक्त किया। आयोजन में सहयोग वरिष्ठ शिक्षक डॉ. एसके शर्मा, डॉ. आनंद लखटकिया, डॉ. डीआर यादव, डॉ. मनमीत कौर, अर्जना जौहरी, डॉ. नीलम गुप्ता, डॉ. बीनम सक्सेना, डॉ. रेनू चौधरी, डॉ. पूर्णिमा अनिल, डॉ. नीरू अग्रवाल, डॉ. स्वदेश सिंह, डॉ. आरके गुप्ता ने किया। संचालन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वंदना शर्मा ने किया।
 
 
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