भारत तेजी से प्रगति कर रहा है लेकिन शिक्षा के मामले में विकसित देशों की तुलना में भारत अब भी बेहद पिछड़ा है। शिक्षा क्षेत्र को लेकर जिस तरह का विकास हो रहा है उस लिहाज से शिक्षा के स्तर तक भारत को पहुंचने में काफी समय लग जाएगा। हालांकि ऐसा नहीं है कि शिक्षा पर काम करना सरकार की केंद्र में नहीं है।
दरअसल, शिक्षा को लेकर सर्वशिक्षा अभियान, राइट टू एजुकेशन एक्ट जैसे कदम सरकार की शिक्षा के प्रति गंभीरता दर्शाते हैं। यही नहीं सरकार शिक्षा पर खर्च भी बहुत कर रही है लेकिन स्कूल जाने वाले छात्रों का बड़ा हिस्सा गुणवत्ता युक्त शिक्षा से मरहूम है।
सरकार फीस नियंत्रित कर रही है लेकिन अभिभावक फीस वृद्धि की समस्या से फिर भी परेशान हैं। अध्यापकों को प्रशिक्षित करने के तमाम उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन यह गुणवत्ता युक्त शिक्षा के रूप में फिर भी दिखाई नहीं दे रही है।
अमर उजाला फाउंडेशन 'नज़रिया- जो जीवन बदल दे' रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू, मिस्ड कॉल देकर करें पंजीकरण
मंगलवार, 17 सितंबर को चंडीगढ़ में आयोजित होने वाले 'नज़रिया- जो जीवन बदल दे' कार्यक्रम में जानिये रील लाइफ के फुन्सुक वांगडू की रियल स्टोरीl कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आपको मोबाइल नंबर- 9582475475 पर मिस्ड कॉल देकर या https://foundation.amarujala.com/nazaria-registration पर जाकर पंजीकरण करना होगाl
बहरहाल, शिक्षा, शिक्षण पद्धतियां और शिक्षा को लेकर जागरूकता को ध्यान में रखते हुए अमर उजाला फाउंडेशन ने अपने खास कार्यक्रम नज़रिया- चंडीगढ़ में शिक्षा के क्षेत्र में अलग नजरिया रखने वाले और पारंपरिक तरीकों से हटकर समाज में बच्चों को शिक्षित करने वाले सोनम वांगचुक को वक्ता के रूप में आमंत्रित किया है।
सोनम वांगचुक वो शख्सियत हैं जिन्होंने शिक्षा को लेकर जमीन पर बदलाव किया। कभी जिस समाज में दसवीं में केवल 5 फीसदी छात्र पास हो रहे थे, वहं सोनम ने अपनी मेहनत और नजरिये के बूते कुछ ही वर्षों में इस प्रतिशत को 75 फीसदी तक लाकर खड़ा कर दिया।
सरकारी शिक्षा व्यवस्था को नई सोच से बदला
सरकारी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए सरकार, ग्रामीण समुदायों और लोगों के सहयोग के जरिए साल 1994 में ऑपरेशन न्यू होप शुरू करने का श्रेय सोनम वांगचुक को ही दिया जाता है। सोनम वांगचुक ने बर्फ-स्तूप तकनीक का आविष्कार किया है जो कृत्रिम हिमनदों (ग्लेशियरों) का निर्माण करता है, इन बर्फ के ढेरों को सर्दियों के पानी को एकत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
बता दें कि फिल्म थ्री इडियट्स में आमिर खान का किरदार फुंगसुक वांगडू इन्हीं की जिंदगी से प्रेरित था। सोनम वांगचुक रोलैक्स अवॉर्ड भी जीत चुके हैं। साल 2016 नवंबर माह में सोनम वांगचुक को रोलेक्स अवॉर्ड के लिए चुना गया था। इस पुरस्कार के रूप में उन्हें 1 करोड़ रुपये की सम्मान राशि प्रदान की गई। सोनम वांगचुक ऐसे बच्चों को मौका देने के लिए लोकप्रिय हैं, जिनमें ढेर सारी प्रतिभाएं होने के बावजूद मौका नहीं मिल पाता है।
लद्दाख में 20 सालों से काम कर रहे
सोनम वांगचुक एक इंजीनियर हैं और लद्दाख के इलाकों में पिछले 20 वर्षों से कार्यरत् हैं। वे स्टूडेंट एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SEMCOL) के नाम से मूवमेंट चला रहे हैं। सोनम वांगचुक जो शिक्षाविद्, वैज्ञानिक और इंजीनियर हैं। सोनम वांगचुक का नाम साल 2018 के रेमन मैगसायसाय पुरस्कार के विजेताओं में शामिल है।
वांगचुक (51) को यह पहचान उत्तर भारत के दूरदराज के क्षेत्रों में ‘शिक्षा की विशिष्ट व्यवस्थित , सहयोगी और समुदाय संचालित सुधार प्रणाली के लिए की गई है जिससे लद्दाखी युवाओं के जीवन के अवसरों में सुधार हुआ। इसके साथ ही यह आर्थिक प्रगति के लिए विज्ञान एवं संस्कृति का उपयोग करने के लिए रचनात्मक रूप से स्थानीय समाज के सभी क्षेत्रों को सकारात्मक रूप से लगाने को लेकर उनके कार्य के लिए किया गया है।
वे हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव्स की स्थापना करना चाहते हैं, जहां बिजनेस, टूरिज्म और अन्य विषयों की पढ़ाई होगी। वांगचुक ने जब कोशिश शुरू की तो वहां 95 फीसदी बच्चे बोर्ड परीक्षा में फेल हो जाते थे, जिससे निराश होकर वह पढ़ाई छोड़ देते थे। उनके नए आइडिया और कड़ी मेहनत की ही नतीजा है कि इस आंकड़े में बड़ी गिरावट आई है। 2013 की सर्दियों में, वांगचुक और उनके छात्रों ने 1.5 लाख लीटर पानी की बर्फ से 6-फुट का प्रोटोटाइप स्तंभ बनाया। 3,000 मीटर की हाइट पर, उनकी टीम इस नदी के बहाव के दबाव के जरिए इसमें से पानी का फव्वारा निकालने में सफले रही। जैसे ही यह पानी बाहर निकल कर जमीन पर गिरता, बर्फ बन जाता।
गौरतलब हो कि 26 मई, 2018 को अमर उजाला फाउंडेशन और माइन्ड्स इग्नाइटेड के संयुक्त तत्वावधान में इंडिया इस्लामिक सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित नज़रिया कार्यक्रम देश में अपनी तरह का सबसे अलग और अनूठा कार्यक्रम था। यह हिंदी में आयोजित होने वाला पहला ऐसा कार्यक्रम था जिसमें अमर उजाला ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के वक्ताओं को युवाओं को सुनने का मौका मिला। इस कार्यक्रम में रक्षित टंडन, मनिका बत्रा, मनोज मुतशिर, पायल ठाकुर और इम्तियाज अली शामिल हुए।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में 25 मार्च 2018 को आगरा में आयोजित कार्यक्रम में इस आयोजन में मनोरंजन, टेक्नॉलॉजी, साइबर सुरक्षा, नागरिक अधिकार, स्वास्थ्य, परिवार और समाज जीवन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर व्याख्यान दिए। इस कार्यक्रम में पवन दुग्गल भी शामिल हुए जो दुनिया के चार सबसे सम्मानित और जानकार साइबर वकीलों में से एक माने जाते हैं।
बता दें कि पवन दुग्गल ने दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हुए साइबर कानूनों के क्षेत्र में लगातार बेहद अहम काम किया। इसी तरह मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी शैक्षणिक विशेषज्ञों में से एक और फोर्टिस हेल्थकेयर के मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान विभाग के निदेशक डॉ. समीर पारीख भी शामिल हुए। इसके अतिरिक्त कथक कलाकार दिव्या गोस्वामी दीक्षित शामिल हुईं थीं।