बागपत में तवेला गढ़ी गांव के होनहार छात्र विकास कुमार का चयन एयरफोर्स में एयरमैन टेक्निकल के पद पर हुआ है। अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति की बदौलत विकास का यह सपना पूरा हुआ है। होनहार विकास का कहना है कि भविष्य में भी उसकी पढ़ाई जारी रहेगी। छात्रवृत्ति ने उसकी जिंदगी संवार दी। अगर अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति नहीं मिलती तो उसे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ती।
तवेला गढ़ी गांव निवासी विकास कुमार ने सीमित संसाधनों के बीच से सफलता की राह बनाई। पिता मांगेराम कश्यप कोल्हू का संचालन करते हैं। परिवार बड़ा था, जिसकी वजह से पढ़ाई में भी परेशानी आनी शुरू हो गई। पढ़ाई छूट जाने की स्थिति बन गई। ऐसे में विकास के काम आई अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति। वर्ष 2015 में यह छात्रवृत्ति हासिल कर उसने पढ़ाई को जारी रखा।
बड़ौत के जनता वैदिक इंटर कॉलेज में विज्ञान वर्ग से 12वीं की पढ़ाई की। भविष्य की पढ़ाई जारी रखने के लिए विकास ने फिर अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति की परीक्षा दी और कामयाबी हासिल की। विकास ने बताया कि छात्रवृत्ति के सहारे ही उसने देहरादून में रहकर कोचिंग की और एनडीए के टेस्ट दिए।
सात दिन के इंटरव्यू में आखिरी दिन वह टेस्ट से बाहर हुआ, लेकिन अभी भी कोशिश जारी है। इसके बाद एयरफोर्स का टेस्ट दिया। पहले ही प्रयास में एयरमैन टेक्निकल के पद पर उसका चयन हो गया। गुरुवार को वह दिल्ली से बंगलुरू के लिए जाएगा। विकास ने पढ़ाई और नौकरी का पूरा श्रेय अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति को दिया है।
तवेला गढ़ी का कर दिया नाम रोशन
विकास के पिता मांगेराम कश्यप कोल्हू संचालक हैं। माता मुनेश देवी गृहणी हैं। विकास का भाई अमित 10वीं में पढ़ता है। बहनें गुड्डी, रूबी, कविता, संगीता और पूजा की शादी हो चुकी हैं। विकास का कहना है कि वह आईएएस बनना चाहता है। इसके लिए वह कोशिश जरूर करेगा। पहले बड़ौत और फिर देहरादून में किराए पर कमरा लेकर पढ़ाई की।
बेटे ने मेहनत की और अमर उजाला ने दिया साथ
विकास की मां मुनेश देवी कहती हैं कि उनका बेटा पढ़ाई में तेज था। लेकिन आर्थिक रूप से पूरी मदद अमर उजाला ने की। पढ़ाई में छात्रवृत्ति की वजह से किसी तरह की परेशानी नहीं आने दी। इसी वजह से कामयाबी मिली।
इस तरह मिली छात्रवृत्ति से मदद
होनहार विकास कुमार ने बताया कि दसवीं के बाद उसे 12वीं के लिए पहली बार 30 हजार रुपए की मदद मिली थी। बाद में स्नातक वर्ग की अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति मिली। पहली किस्त में 47 हजार, दूसरी किस्त में 18 हजार और तीसरी किस्त में 15 सौ रुपए की मदद अमर उजाला की ओर से की गई, जिससे उसकी पढ़ाई हो सकी।