00 छात्रवृत्ति से पूरी करेंगे आगे की पढ़ाई का अरमान
छात्रवृत्ति से पूरी करेंगे आगे की पढ़ाई का अरमान

गोरखपुर। अमर उजाला की ओर से आयोजित अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति परीक्षा- 2018 में उत्तीर्ण रामचंद्र गौतम का सपना शिक्षक बनना है। इस स्कॉलरशिप की मदद से वो बीएचयू से पढ़ाई करने का सपना पूरा करेंगे। राजकीय स्पर्श इंटर कॉलेज, लालडिग्गी में 12वीं के छात्र रामचंद्र ने बताया कि वह शुरू से ही पढ़ाई में मेधावी रहे हैं। 10वीं में भी 81 फीसदी अंक हासिल पूरे विद्यालय में टॉप किया था।

बलरामपुर के कोड़रीघाट स्थित झौहना निवासी रामचंद्र के पिता बालक राम किसान हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति भी कुछ ठीक नहीं है। चार भाई-बहनों में सबसे छोटे रामचंद्र ने अपनी सफलता का श्रेय मां केवलपति देवी को दिया है। कहा,वो हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करतीं हैं। 12वीं के बाद तुरंत बाद वो दृष्टिबाधित दिव्यांगों को पढ़ाने के लिए डीएड का कोर्स करेंगे। उन्हें पढ़ाई के अलावा कविताएं लिखने का शौक है। विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वो खुद की लिखी कविताओं को सुनाते हैं। हिंदी और संस्कृत उनका पसंदीदा विषय है। इन दोनों भाषाओं में ही वो महारत हासिल कर शिक्षण क्षेत्र में उतरेंगे।

प्रधानाचार्य बनकर अपने जैसों की करूंगा सेवा

गोरखपुर। अमर उजाला की ओर से आयोजित अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति परीक्षा में उत्तीर्ण राजन यादव ने कहा है कि वो प्रधानाचार्य बनकर अपने जैसी दिव्यांगता से जूझ रहे बच्चों की मदद करेंगे। इसके लिए उन्हें खूब पढ़ाई करनी है। राजकीय स्पर्श इंटर कॉलेज, लालडिग्गी में10 वीं में पढ़ने वाले राजन का कहना है कि अमर उजाला की इस मुहिम से उन्हें आगे की पढ़ाई पूरी करने में मदद मिलेगी। इससे वो भी दूसरे साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकेंगे।

कुशीनगर के महुआ कारखाना स्थित महासन कोइरी टोला निवासी राजन यादव के पिता पृथ्वीनाथ यादव बेटे की सफलता से गदगद हैं। पेशे से किसान पृथ्वीनाथ ने बताया कि बेटा शुरू से ही मेधावी रहा है। कई कक्षाओं में उसने लगातार अव्वल आकर अपनी क्षमता को दिखाया है। स्कॉलरशिप मिलने से कम से कम बेटे की आगे की पढ़ाई की चिंता दूर हुई है। राजन को पढ़ाई से इतर गाने सुनना बेहद पसंद है। शिक्षा के क्षेत्र में सेवा करने की चाहत रखने वाले राजन बताते हैं कि एक छात्र के रूप में उन्होंने साथियों की समस्या को बेहद करीब से महसूस किया है। इसलिए जब वो प्रधानाचार्य बनेंगे तो उन समस्याओं को दूर करेंगे, ताकि दिव्यांग भी आत्मनिर्भर बन सकें।

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