बन्नादेवी थाने के इंस्पेक्टर इंचार्ज अनुज कुमार ने इस सवाल के जवाब में कहा कि एसिड अटैक एक चरण है। इसके पहले महिलाएं बहुत कुछ सहन करती है। शुरू में ही सतर्क हो जाने पर ऐसी घटनाएं रुक सकती है। माता-पिता एवं टीचर आपको जो समझाएं उसे ही कानून समझना और उसका पालन करना। बस, ट्रेन या कहीं आने जाने के क्रम में आसपास की स्थितियों से चौकन्ना रहें। आपको अहसास हो जाएगा कि कौन कानून का पालन कर रहा है और कौन उसे तोड़ रहा है।
डीआईजी ने कहा कि कानून कभी भेदभाव नहीं करता। सबके लिए एक समान है। मैं स्वयं ड्राइविंग लाइसेंस साथ लेकर चलता हूं। जीवन में अनुशासन बनाए रखें। यातायात नियमों का पालन करें। हेलमेट लगाकर वाहन चलाएं। कभी रोड पर रेस न लगाएं और न ही ओवरटेक करने के चक्कर में जान जोखिम में डालें। पापा को घर से बिना हेलमेट नहीं निकलने दें। यह भी ध्यान में रखें कि मारपीट या अन्य किसी तरह के मामले में आपका नाम पुलिस रिकार्ड में न दर्ज हो। अन्यथा यूपीएससी, पीसीएस एवं न्यायिक सेवा समेत अन्य सेवा में चयन होने पर पुलिस वेरीफिकेशन में परेशानी पैदा होगी और नौकरी हाथ से जा सकती है। अपनी पढ़ाई एवं व्यक्तित्व विकास पर ध्यान केंद्रित करें। सभी पुलिसवाले बुरे नहीं हैं। कुछ लोगों के कारण पुलिस बदनाम हो जाती है।
